मुझे कोई पद नहीं चाहिए, सत्ता नहीं चाहिए: यूनुस
जब 84 वर्षीय यूनुस से जब पूछा गया कि क्या वे चुनावों के बाद कोई राजनीतिक भूमिका निभाना चाहते हैं, तो उन्होंने साफ तौर पर मना कर दिया। उन्होंने अपने हाथ हवा में उठा कर कहा, “बिल्कुल नहीं।” उन्होंने कहा कि न सिर्फ वे, बल्कि उनकी पूरी अंतरिम कैबिनेट सत्ता से दूर रहना चाहती है। उनका मकसद सिर्फ चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है।
गलत चुनाव से समस्या कभी हल नहीं होगी
यूनुस ने कहा कि अगर यह चुनाव निष्पक्ष नहीं हुआ, तो यह बांग्लादेश के लिए एक स्थायी समस्या बन जाएगा। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि जब सत्ता सौंपें, तो जनता को संतोष हो, और यही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
हसीना सरकार के पतन के बाद सत्ता में आए यूनुस
यूनुस ने अगस्त 2024 में बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद अंतरिम नेता के रूप में पदभार संभाला था। शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद वे देश छोड़ कर भारत पहुंच गई थीं। यूनुस ने सत्ता में आने के बाद से लोकतंत्र को फिर से स्थापित करने और संस्थानों में सुधार लाने की बात कही है।
जुलाई में पेश होगा ‘नए बांग्लादेश’ का चार्टर
यूनुस ने खुलासा किया कि अगले महीने ‘जुलाई चार्टर’ नाम से एक विस्तृत सुधार पैकेज पेश किया जाएगा। यह चार्टर उन छात्रों के आंदोलन की सालगिरह पर आएगा जिन्होंने हसीना को सत्ता से हटाने में भूमिका निभाई। यह पैकेज लोकतांत्रिक संस्थाओं और नीतिगत बदलावों की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम होगा।
हम पुराने बांग्लादेश को अलविदा कहेंगे: यूनुस
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि अब पुराना बांग्लादेश पीछे छूट जाए। अब एक नया, लोकतांत्रिक और पारदर्शी बांग्लादेश बनाने का समय है ।” यूनुस ने यह भी कहा कि उनकी सरकार किसी भी तरह के सत्ता विस्तार की इच्छुक नहीं है।
अवामी लीग की वैधता पर भी उठे सवाल
यूनुस ने चैथम हाउस में चर्चा के दौरान अवामी लीग की वैधता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “एक पार्टी जो युवाओं की हत्या करे, लोगों को गायब करे और भ्रष्टाचार में लिप्त हो -क्या उसे राजनीतिक पार्टी कहा जा सकता है?” उन्होंने माना कि यह एक खुली बहस है, लेकिन चिंता गंभीर है।
बीएनपी ने अप्रेल 2026 की चुनाव तिथि को नकारा
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने यूनुस की ओर से घोषित अप्रैल 2026 की चुनाव तिथि को खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि चुनाव इस साल दिसंबर में कराए जाएं। उन्होंने कहा कि यूनुस ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि इस साल चुनाव क्यों नहीं हो सकते, और अप्रेल में क्या बाधाएं आ सकती हैं।
रिएक्शन: अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषकों ने यूनुस के बयान को “लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदार सोच” बताया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साउथ एशिया विशेषज्ञ डॉ. सईद रहमान ने कहा, “नोबेल विजेता होने के नाते यूनुस की सत्ता से दूरी की मंशा विश्वसनीय और प्रेरक है, खासकर ऐसे समय में जब बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली की कोशिशें चल रही हैं।”
फॉलोअप : आगे की रणनीति और सवाल
अगले कुछ महीनों में देखा जाएगा कि क्या वे सचमुच सत्ता हस्तांतरण के बाद पीछे हट जाते हैं, या कोई परोक्ष भूमिका निभाते हैं। क्या यूनुस अपनी बात पर कायम रहेंगे ?
‘जुलाई चार्टर’ की सामग्री क्या होगी ?
यह महत्वपूर्ण होगा कि उसमें संस्थागत सुधार, प्रेस की आज़ादी, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की गारंटी शामिल हो या नहीं। बीएनपी और अन्य दलों का सहयोग मिलेगा या नहीं ?
अगर प्रमुख विपक्षी पार्टियां चुनाव प्रक्रिया को नहीं मानतीं, तो पारदर्शिता की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा।
अंतरिम सरकार की वैधता और सीमाएं
क्या एक असंवैधानिक सत्ता परिवर्तन के बाद बनी अंतरिम सरकार को व्यापक जनसमर्थन मिला है? यदि नहीं, तो यह स्थिरता के बजाय अस्थिरता भी ला सकती है। ‘जुलाई चार्टर’ बनाम चुनावी रोडमैप
क्या यह चार्टर केवल नैतिक घोषणापत्र रहेगा या इसमें कानूनी और प्रशासनिक ढांचे की साफ़ योजना भी होगी?
अवामी लीग पर हमले से राजनीतिक ध्रुवीकरण
यूनुस की तरफ़ से अवामी लीग को “राजनीतिक पार्टी कहे जाने योग्य नहीं” बताना कई अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र समर्थक संस्थाओं को असहज कर सकता है। नोबेल छवि का राजनीतिक इस्तेमाल ?
क्या यूनुस अपनी नोबेल पुरस्कार प्राप्त छवि का उपयोग जनमत प्रभावित करने में कर रहे हैं, या यह सचमुच एक निष्पक्ष लोकतांत्रिक प्रयास है?
बांग्लादेश के लिए निर्णायक मोड़
बहरहाल मुहम्मद यूनुस की सत्ता से दूरी की घोषणा एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन असली परीक्षा चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, विरोधियों का विश्वास और वादों की जमीनी हकीकत से होगी। बांग्लादेश के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए यह एक संवेदनशील, लेकिन निर्णायक मोड़ है।