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शेख हसीना को हटाने वाला यह छात्र संगठन अब यूनुस सरकार के पीछे लगा ! सड़कों पर आक्रोश

July Mancha protests Bangladesh 2025: बांग्लादेश में पूूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने वाला ‘जुलाई मंच’ अब यूनुस सरकार के पीछे लग गया है।

भारतMay 27, 2025 / 11:10 pm

M I Zahir

July Mancha protests Bangladesh 2025

बांग्लादेश में छात्र संगठन ‘जुलाई मंच’ पूरे देश में यूनुस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। (फोटो: ANI)

July Mancha protests Bangladesh 2025: बांग्लादेश (Bangladesh) में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ( Sheikh Hasina) को सत्ता से हटाने में निर्णायक भूमिका निभाने वाला छात्र संगठन ‘जुलाई मंच’ (July Mancha) अब नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। इस बार उसका विरोध कर्मचारी आंदोलनों के विरोध में (Agitaion against employee movements ) है, जिससे देश का माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है। बांग्लादेश में जुलाई 2024 में शुरू हुआ छात्र आंदोलन,’जुलाई क्रांति’ अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। इस आंदोलन ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, और अब यह आंदोलन नए राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में प्रवेश कर गया है।

बांग्लादेश में जुलाई क्रांति के बाद की स्थिति

प्रधानमंत्री हसीना का पलायन: अगस्त 2024 में शेख हसीना ने भारत में शरण ली, जिसके बाद अंतरिम सरकार का गठन हुआ था।

नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद युनुस का नेतृत्व

नए सरकार के प्रमुख के रूप में डॉ. मुहम्मद यूनुस ने शपथ ली और लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाए।

‘ऑपरेशन डेविल हंट’ की शुरुआत

पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के समर्थकों के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू किया गया था, जिसमें करीब 11,313 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

बांग्लादेश में जुलाई मंच का नया रुख

पहले हसीना सरकार के विरोध में सक्रिय’जुलाई मंच’ (July Mancha) अब यूनुस सरकार के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन कर रहा है। इसने कर्मचारी आंदोलनों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए हैं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है।

बांग्लादेश में इन दिनों की प्रमुख घटनाएँ

शाहबाग विरोध (9-10 मई 2025): ‘जुलाई मंच’ ने ढाका के शाहबाग चौराहे पर विशाल प्रदर्शन आयोजित किया, जिसमें अवामी लीग को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की गई।

बांग्लादेश में इंकलाब मंच का मार्च

इंकलाब मंच ने यूनुस के सरकारी आवास की ओर मार्च किया, जिसमें तीन प्रमुख मांगें रखी गईं: अवामी लीग की पंजीकरण रद्द करना, पार्टी के सभी सदस्यों की गिरफ्तारी, और जुलाई क्रांति के सभी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

स्थिति की गंभीरता,बिगड़े हालात

हालात इस हद तक बिगड़ गए हैं कि अंतरिम सरकार ने अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, और पार्टी के नेताओं के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है।

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति अब एक नई दिशा में

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति अब एक नई दिशा में बढ़ रही है, जहाँ छात्र संगठन और कर्मचारी वर्ग दोनों ही सक्रिय रूप से अपनी आवाज उठा रहे हैं। यह आंदोलन केवल सत्ता परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और अधिकारों की रक्षा के लिए एक व्यापक संघर्ष बन चुका है।

आखिर बांग्लादेश में यह क्या हो रहा है ?

ध्यान रहे कि सन 2024 की ‘जुलाई क्रांति’ ने शेख हसीना की सत्ता को गिरा दिया था। इसे लोकतंत्र की जीत माना गया था।
अब वही ‘जुलाई मंच’ यूनुस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है और कर्मचारी हड़तालों को देश विरोधी बता रहा है।

मुख्य घटनाक्रम: अतीत से वर्तमान तक

‘जुलाई मंच’ का प्रदर्शन: ढाका के शाहबाग चौराहे पर विशाल प्रदर्शन करते हुए उन्होंने अवामी लीग को प्रतिबंधित करने और जुलाई क्रांति कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की मांग की।

बांग्लादेश में कर्मचारी संगठनों से टकराव

गारमेंट और सरकारी कर्मचारी वेतन वृद्धि और पारदर्शिता की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं, ‘जुलाई मंच’ इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है।

बांग्लादेश सरकार की मुश्किलें बढ़ीं

डॉ. मुहम्मद यूनुस की सरकार अब पूर्व सहयोगियों और विपक्ष दोनों के दबाव में है।

बांग्लादेश का राजनीतिक परिदृश्य

अंतरिम सरकार ने अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है और आतंकवाद विरोधी कानून के तहत कार्रवाई जारी है।

यूनुस के कार्यकाल में नया सत्ता संघर्ष

‘जुलाई मंच’ अब यूनुस सरकार से कड़े निर्णय की मांग कर रहा है, जबकि कर्मचारी संगठन वेतन सुधार और निर्णयों में भागीदारी चाहते हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और यह मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने राजनीतिक हिंसा की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि सभी पक्षों में संवाद नहीं हुआ, तो बांग्लादेश लंबे राजनीतिक संकट में घिर सकता है।

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