क्या हुआ गोपालगंज में?
प्रोथोम अलो न्यूज एजेंसी के अनुसार, एनसीपी की रैली के दौरान शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों और पुलिस, सेना तथा पैरामिलिट्री फोर्स के बीच तनाव बढ़ गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अवामी लीग के समर्थकों ने लाठी-डंडों और ईंट-पत्थरों से सुरक्षा बलों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की जान चली गई।
आवामी लीग का आरोप
आवामी लीग ने इस हिंसा के लिए सेना और एनसीपी को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि बांग्लादेश की सेना ने गोपालगंज में निहत्थे नागरिकों पर गोलीबारी की और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत को नष्ट करने की साजिश रची गई। अवामी लीग ने इस घटना का वीडियो भी साझा किया है, जिसमें कथित तौर पर सेना की कार्रवाई दिखाई गई है।
मोहम्मद यूनुस का बयान
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने इस हिंसा को “अक्षम्य” बताया। उनके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि यह हिंसा कथित तौर पर प्रतिबंधित अवामी लीग और उसकी छात्र शाखा के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई, जिन्हें जल्द से जल्द जवाबदेह ठहराया जाएगा। यूनुस ने इस घटना को “बंगबंधु की विरासत पर हमला” करार दिया और अपराधियों की शीघ्र पहचान और सजा की मांग की।
तनाव में बढ़ोतरी
यह हिंसा तब हुई, जब एनसीपी गोपालगंज के म्यूनिसिपल पार्क में एक जनसभा कर रही थी। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, अवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने इस सभा पर हमला किया, जिसके बाद स्थिति हिंसक हो गई। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के अगस्त 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से अवामी लीग के नेताओं और समर्थकों पर हमले बढ़ गए हैं। कई अवामी लीग नेताओं के घरों और संपत्तियों को निशाना बनाया गया है, और पार्टी पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध भी लगाया गया है।
क्या है स्थिति
गोपालगंज में हुई इस हिंसा ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा कर दिया है। अंतरिम सरकार और अवामी लीग के बीच तनाव चरम पर है, और सुरक्षा बलों पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने का दबाव बढ़ रहा है। इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में गहरे विभाजन को उजागर किया है।