भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी पाकिस्तानी चिंता
बिलावल इन दिनों अमेरिका में एक सरकारी अधिकृत संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जो हाल के क्षेत्रीय तनावों और भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तान का रुख पेश करने के लिए पहुंचा है। यह ऑपरेशन भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस घटना ने न केवल भारत को कार्रवाई के लिए प्रेरित किया, बल्कि पाकिस्तान को भी वैश्विक मंचों पर सफाई देने पर मजबूर कर दिया।
UN में पाकिस्तान को नहीं मिल रहा समर्थन (India Pakistan UN conflict)
बिलावल भुट्टो ने स्वीकार किया कि आतंकवाद और जल विवाद जैसे मुद्दों पर कुछ देशों की “ग्रहणशीलता” है, लेकिन कश्मीर के सवाल पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन अभी भी बहुत सीमित है। उनका यह बयान पाकिस्तान की कूटनीतिक असफलता उजागर करता है, खासकर ऐसे समय में जब भारत इन मंचों पर अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है।
भारत की रणनीति को टक्कर देने की नाकाम कोशिश
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान का यह प्रतिनिधिमंडल भारत की हालिया कूटनीतिक रणनीति की हूबहू नकल करता हुआ दिख रहा है। भारत ने भी पहलगाम हमले के बाद एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की स्थिति से अवगत कराया। पाकिस्तान का यह कदम साफ तौर पर भारत के नैरेटिव को संतुलित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
बिलावल की कूटनीतिक मैराथन मीटिंग्स
न्यूयॉर्क में बिलावल और उनके प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, महासभा अध्यक्ष फिलेमोन यांग, और सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष कैरोलिन रोड्रिग्स-बिर्केट सहित कई प्रमुख वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। इसके अलावा अमेरिका, चीन, रूस, और फ्रांस जैसे सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और अन्य गैर-स्थायी सदस्यों से भी चर्चा की गई, लेकिन इन मुलाकातों का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया।
वाशिंगटन में आमने-सामने होंगे भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल
वाशिंगटन डीसी में बुधवार को बिलावल का प्रतिनिधिमंडल होगा, वहीं उसी दिन वरिष्ठ कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई में भारत का प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद रहेगा। यह दिलचस्प टकराव वैश्विक राजधानी में भारत-पाक के कूटनीतिक संघर्ष की नई तस्वीर पेश करेगा।
भारत का संदेश स्पष्ट: आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय दल बेल्जियम और लैटिन अमेरिकी देशों की यात्रा के बाद अमेरिका पहुंचा है। भारत के इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दलों के सांसद शामिल हैं। इनका स्पष्ट संदेश है: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस और संप्रभुता की रक्षा में कोई समझौता नहीं। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने प्रतिनिधिमंडल का जोरदार स्वागत किया।
रिएक्शन: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल(Kashmir issue UN reaction)
भारत के राजनयिक हलकों में संतोष: बिलावल की स्वीकारोक्ति के बाद नई दिल्ली में इसे पाकिस्तान की “मौखिक पराजय” बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि यह दर्शाता है कि भारत की विदेश नीति अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि अग्रसक्रिय (proactive) मोड में है।
डिप्लोमैटिक कॉरिडोर्स में फुसफुसाहट
UN में पाकिस्तान की लगातार हो रही अनदेखी पर कई अफ्रीकी और यूरोपीय राजनयिकों ने बंद कमरे में चिंता जताई है कि इस्लामाबाद को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।
थिंक टैंक का विश्लेषण: “बिलावल की यह टिप्पणी एक बड़ी बात
दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगलमैन ने ट्वीट किया, “बिलावल की यह टिप्पणी एक बड़ी बात है — कूटनीति में जब आप सार्वजनिक रूप से हार मानते हैं, तो यह दर्शाता है कि बैक चैनल में आपकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।”
भारत की कूटनीतिक रणनीति का विस्तार
भारत की ओर से शशि थरूर के नेतृत्व में चल रही वैश्विक यात्रा का अगला चरण संभवतः मिडल ईस्ट और ASEAN देशों की ओर होगा, ताकि कश्मीर व आतंकवाद के मुद्दे पर व्यापक समर्थन सुनिश्चित किया जा सके।
पाकिस्तान में आंतरिक आलोचना तेज
PPP और सरकार के आलोचक अब बिलावल भुट्टो की इस स्वीकारोक्ति को उनकी ‘राजनयिक कमजोरी’ बताकर आड़े हाथ ले रहे हैं। संभव है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की संसद में यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बने।
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर बहस
भुट्टो की यह स्वीकारोक्ति सवाल खड़ा करती है-क्या संयुक्त राष्ट्र अब इस तरह के विवादों में प्रभावी भूमिका निभा पा रहा है, या उसकी भूमिका केवल ‘औपचारिक मुलाकातों’ तक सीमित रह गई है ?
साइड एंगल : कैमरे के पीछे की कहानी, UN के गलियारों में मुकाबला
न्यूयॉर्क स्थित यूएन हेडक्वार्टर में भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों के बीच एक तरह की ‘सॉफ्ट वार’ चलती रही। एक ही दिन में दोनों देशों के दलों ने अलग-अलग समय पर वही मीटिंग रूम मांगे — जिसे यूएन कर्मचारियों ने दुर्लभ कूटनीतिक कोरियोग्राफी (rare diplomatic choreography) बताया।
भारत और पाकिस्तान के नागरिकों में सोशल मीडिया पर भिड़ंत
ट्विटर (अब X) और इंस्टाग्राम पर भारत और पाकिस्तान के नागरिकों के बीच बहस तेज हो गई है। पाकिस्तानी यूजर्स ने बिलावल की सफाई को “ईमानदारी” बताया, जबकि भारतीय यूजर्स ने इसे “पराजय का कुबूलनामा” कहा है।
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ रहा
बहरहाल इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है, जबकि भारत अपने कूटनीतिक प्रभाव को विस्तार देने में सफल हो रहा है। बिलावल भुट्टो की स्वीकारोक्ति इस्लामाबाद के लिए एक राजनयिक झटका है, और भारत के लिए एक राजनयिक जीत।