दरअसल सीमा विवाद आमतौर पर ऐतिहासिक घटनाओं, औपनिवेशिक सीमांकन, जातीय मतभेदों और रणनीतिक हितों से पैदा होते हैं। इनमें से कई विवाद दशकों से चले आ रहे हैं और आज भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं। इन्हीं में से एक है –
1- चीन भारत का विवाद
भारत का पड़ोसी देश चीन एशिया का ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में गिना जाता है। चाहे अर्थव्यवस्था की बात हो या फिर सैन्य ताकत की। चीन अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आता है लेकिन बावजूद इसके चीन की भारत की इलाकों पर नजर है। सन् 1962 में चीन और भारत के बीच युद्ध हुआ और चीन ने भारत के अक्साइ चिन पर कब्जा कर लिय़ा। अब भारत के अरुणाचल प्रदेश पर चीन नजर गड़ाए बैठा है। अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना इलाका बतााता है। उसने अपने मैप में भी अरुणाचल प्रदेश का नक्शा शामिल किया है।
चीन अरुणाचल प्रदेश में 90 हज़ार वर्ग किलोमीटर की ज़मीन पर अपना दावा करता है। वो इसी इलाके को दक्षिणी तिब्बत बताता है। जिसका भारत पुरजोर तरीके से विरोध करता है।
2- चीन-ताइवान विवाद
इन दिनों ताइवान का मुद्दा काफी सुर्खियों में है।
चीन ताइवान पर अपना कब्जा बताता है। लेकिन ताइवान ने खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया हुआ है। ये विवाद 1949 में चीन के गृहयुद्द से चला आ रहा है। दरअसल ये गृहयुद्ध खत्म होने के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मुख्यभूमि चीन पर कब्जा जमा लिया था, वहीं चीन की राष्ट्रीय पार्टी (कुओमिंतांग) ताइवान भाग गई। ताइवान को औपचारिक रूप से ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ (ROC) कहते हैं, वहीं मुख्यभूमि को ‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ (PRC) कहा जाता है। PRC ताइवान को अपना हिस्सा बताता है।
दरअसल दुनिया के ज्यादातर देशों ने PRC को मान्यता दी हुई है और वे ताइवान के साथ औपचारिक कूटनीतिक संबंध भी नहीं रखते। हालांकि ताइवान के कई देशों के साथ अनौपचारिक संबंध और व्यापारिक साझेदारी है। दूसरा ताइवान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य भी नहीं है अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सदस्यता पर चीन का दबाव रहता है।
3- रूस-यूक्रेन विवाद
पिछले 3 सालों से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। अब तक इस जंग के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं हालांकि यूक्रेन शांति वार्ता के लिए अब रूस और अमेरिका के बीच बैठकें चल रही हैं लेकिन यूक्रेन इसमें शामिल नहीं है। दरअसल
2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया, जबकि यूक्रेन इसे अपना क्षेत्र मानता है। उधर रूस में डोनेत्स्क और लुहान्स्क में रूस समर्थित विद्रोही समूह सक्रिय हैं, जिससे दोनों देशों के बीच कई बार भीषण युद्ध हुआ है। वैसे तो सोवियत संघ से अलग होने के बाद ही रूस और यूक्रेन के बीच दरार आ गई।
20 वीं सदी में सोवियत नेता जोसेफ़ स्टालिन ने दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के खत्म होने के बाद पोलैंड से पश्चिमी यूक्रेन तक कब्जा जमा लिया था। इसके बाद 1950 के दशक में रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन के हवाले कर दिया था। तब से क्रीमिया (Crimea) यूक्रेन के ही पास था। इसके बाद रूस ने सन् 2014 में जबरन क्रीमिया को यूक्रेन से छीन लिया और उस पर कब्जा कर लिया। तब से यूक्रेन में युद्ध छिड़ गया जो 2021 तक चला इसे डोनबास का युद्ध कहते हैं। इसमें करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई थी।
इसके बाद 2021 में ही रूस और यूक्रेन में जो युद्ध छिड़ा ये उसी जंग का एक विस्तारित रूप है। इस युद्ध में अब तक 1 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं यूक्रेन का कहना है कि ये आंकड़े असली संख्या से बहुत कम हैं।
इज़रायल-फिलिस्तीन विवाद
गाज़ा में 15 महीने चला इजरायल हमास का भीषण युद्ध मानवीय मूल्यों के गिरने की कहनी लिख रहा है। फिलहाल अमेरिका ने गाजा़ में युद्धविराम करा दिया है लेकिन युद्धबंदियों को रिहा करने में हमास कोताही बरत रहा है जिससे युद्धविराम के टूटने की आशंकाएं बनी रहती हैं। गाज़ा में हुआ ये युद्ध 1948 में इज़राइल के गठन के बाद के शुरू हुए विवाद का नतीजा है। दरअसल फिलिस्तीनियों का दावा है कि वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी उनके इलाके हैं, जबकि इसे इजरायल नियंत्रित करता है। वहीं इजरायल की राजधानी येरुशलम को लेकर दोनों देशों के बीच धार्मिक और राजनीतिक संघर्ष हैं। दरअसल इजरायल और फिलिस्तीन के क्षेत्र जिसे ऐतिहासिक तौर पर कनान या पवित्र भूमि कहते हैं। पहले विश्व युद्ध के बाद ये इलाका ब्रिटेन के कब्जे में आया।1917 में ब्रिटेन ने इस भूमि पर यहूदी राष्ट्र का बनने का ऐलान किया। जिसके बाद 20 वीं शताब्दी तक बड़ी संख्या में यहूदी धर्म के लोग यूरोप से फिलिस्तीन में बसने लगे। इसे ज़ायोनिज़्म आंदोलन कहा गया था। 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो राज्यों में एक यहूदी और एक अरबी में बांटने का ऐलान किया। जिसका अरबी लोगों ने विरोध किया इसका नतीजा था कि 1948 में यहूदी राष्ट्र इजरायल बनने के बाद यहां अरबियों से भीषण युद्ध हुआ। जिसे इजरायल ने जीत लिया। इसके बाद 7 लाख फिलिस्तीनियों (अरबी) ने अपना छोड़ दिया। इसके बाद ये पूरा इलाका 3 हिस्सों में बांट दिया गया। गाज़ा पट्टी, वेस्ट बैंक और इजरायल।
उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया
1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद कोरिया दो हिस्सों में बंट गया।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच इसे लेकर कोई औपचारिक शांति संधि नहीं हुई है। जिससे सीमा पर तनाव बना रहता है। इस वजह से कोरियाई प्रायद्वीप के डीमिलिट्राइज़्ड ज़ोन की वजह से ये विवाद बना हुआ है।
आर्मेनिया-अज़रबैजान विवाद
ये इलाका ऐतिहासिक रूप से आर्मेनियाई लोगों से बसा हुआ था लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद ये अज़रबैजान के नियंत्रण में आ गया। 2020 में दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र को लेकर युद्ध हुआ, जिसमें अज़रबैजान ने आर्मेनिया से कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया।
ग्रीस-तुर्की विवाद
ग्रीस और तुर्की एजियन सागर के द्वीपों (साइप्रस) पर अपने-अपने दावे पेश करते हैं। दरअसल 1974 में तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी भाग पर कब्जा कर लिया था हालांकि इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अब तक मान्यता नहीं दी है।
अर्जेंटीना-यूके विवाद
इन दोनों देशों के विवाद का कारण फॉकलैंड द्वीप है। अर्जेंटीना दावा करता है कि फ़ॉकलैंड द्वीप उसके हैं, जबकि यूके इन पर शासन करता है। 1982 में इस विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुआ था।