कई देशों ने ताइवान की जगह बीजिंग को मान्यता दी
इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस कर्ज की असल कीमत केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। कई देशों ने ताइवान की जगह बीजिंग को कूटनीतिक मान्यता दी और उसके बदले में चीन से भारी ऋण मिला। यह दर्शाता है कि चीन सिर्फ निवेश नहीं, वैश्विक प्रभाव का विस्तार भी कर रहा है।
आखिर क्या है यह पूरा मामला ?
बीआरआई के तहत चीन ने 2008 से 2021 तक लगभग 240 अरब डॉलर की बेलआउट सहायता दी। लेकिन अब वही चीन कर्ज देने वाला नहीं, वसूली करने वाला बन चुका है। रिपोर्ट कहती है- “चीन ने सबसे कठिन समय में ऋण देना बंद कर दिया और जब देश संकट में थे, तभी पैसा खींचना शुरू कर दिया।”
कहां-कहां बज रही है अलार्म बेल ?
लाओस, पाकिस्तान, मंगोलिया और कजाकिस्तान जैसे देश ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भारी चीनी निवेश के कारण अब ऋण संकट में घिर चुके हैं। उन्हें अब अपने स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु फंडिंग में कटौती करनी पड़ रही है ताकि चीन को किश्तें चुका सकें।
चीन इन ऋणों का राजनयिक लाभ उठाने में आगे
रिपोर्ट बताती है कि चीन इन ऋणों का राजनयिक लाभ उठाने में भी पीछे नहीं है। जैसे ही कुछ देशों ने ताइवान से संबंध तोड़कर बीजिंग को मान्यता दी, तुरंत उन्हें भारी कर्ज दे दिया गया-होंडुरास, निकारागुआ, सोलोमन द्वीप, बुर्किना फासो और डोमिनिकन रिपब्लिक इसके ताजा उदाहरण हैं।
चीन का असल “छिपा हुआ कर्ज” शायद 385 अरब डॉलर तक !
हालांकि यह तस्वीर एकतरफा नहीं है। चीन को भी घरेलू मंदी, कूटनीतिक आलोचना और ऋण पुनर्गठन की मांगों का सामना करना पड़ रहा है। एड डेटा के अनुसार, चीन का असल “छिपा हुआ कर्ज” शायद 385 अरब डॉलर तक हो सकता है।
बीआरआई का खवब वित्तीय बुरे सपने में बदल रहा
BRI का ख्वाब अब एक वित्तीय बुरे सपने में बदलता जा रहा है। विकासशील देश कर्ज और बुनियादी ज़रूरतों के बीच जूझ रहे हैं, और चीन की रणनीति अब सवालों के घेरे में है।
कर्ज के बोझ में दबाना चीन की “ऋण कूटनीति”
अर्थशास्त्रियों और वैश्विक नीति विशेषज्ञों ने चीन की इस ऋण नीति को “ऋण कूटनीति” का नाम दिया है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को अपनी रणनीतिक पकड़ में लेना है। पाकिस्तान, लाओस और मंगोलिया जैसे देश इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुके हैं।
क्या ये देश विचार करने के लिए चीन से बातचीत करेंगे?
इस विषय में अगला बड़ा सवाल यह है कि क्या IMF और विश्व बैंक जैसे वैश्विक वित्तीय संस्थान इन देशों को ऋण राहत देने में कोई भूमिका निभा सकते हैं, या क्या ये देश खुद ऋण चुकाने दुबारा विचार करने के लिए चीन से बातचीत करेंगे ?
चीन की खाली जगह राजनीतिक प्रभाव से भरने की रणनीति
यह मुद्दा सिर्फ आर्थिक संकट नहीं, बल्कि वैश्विक सत्ता संतुलन का भी है। जैसे-जैसे अमेरिका और यूरोपीय देश विदेशी सहायता में कटौती कर रहे हैं, चीन ने इस खाली जगह को राजनीतिक प्रभाव से भरने की रणनीति अपनाई है। एक्सक्लूसिव इनपुट क्रेडिट: रिपोर्ट लोवी इंस्टीट्यूट, ऑस्ट्रेलिया के अध्ययन पर आधारित है, जिसे ग्लोबल डेट डिप्लोमेसी और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रभावों पर तैयार किया गया है। अतिरिक्त विश्लेषण एड डेटा (AidData) के आंकड़ों पर आधारित हैं,चीन के छिपे कर्ज का अंदाजा लगभग 385 अरब डॉलर तक बताया है।