आखिर क्यों मिली फांसी ? चीन ने फैसला सही बताया
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने ग्लोब एंड मेल अखबार को भेजे गए एक बयान में फांसी की सजा को सही ठहराते हुूए अपना बचाव किया है। इसमें चीन की तरफ से संकेत दिया गया था कि कनाडाई लोगों को ड्रग्स के अपराध में दोषी ठहराया गया था। ग्लोब को भेजे गए चीनी दूतावास के बयान में कहा गया है, “ड्रग्स से जुड़े अपराध एक गंभीर अपराध हैं जिसे दुनिया भर में समाज के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है… चीन ड्रग्स से संबंधित अपराधों पर हमेशा गंभीर दंड देता रहा है और ड्रग्स की समस्या के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ का रवैया रखता है।” ध्यान रहे कि चीन फांसी के आंकड़ों को देश के क्लासीफाइड आंकड़ों के रूप में वर्गीकृत करता है, यानी उसे सीक्रेट बनाकर रखता है। यानि वह ऐसा आंकड़ा पब्लिक डोमेन में नहीं आने देता। हालांकि एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कई अधिकार समूहों का मानना है कि चीन में हर साल हजारों लोगों को फांसी दी जाती है।
जॉन काम ने चीन में मौत की सज़ा पाए हुए लोगों के लिए अभियान चलाया
सैन फ्रांसिस्को में मानवाधिकार समूह डुई हुआ फाउंडेशन के संस्थापक जॉन काम ने चीन में मौत की सजा पाए हुए लोगों के लिए अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि वह चार व्यक्तियों की ओर से चीन में पैरवी करने में मदद कर रहे थे, लेकिन गोपनीयता कारणों से उनके विवरण साझा करने में असमर्थ थे। उन्होंने कहा कि चारों पुरुष थे और उनके मामले दक्षिणी प्रांत ग्वांगडोंग में निपटाए गए थे। काम ने कहा कि चीन के लिए इतने कम समय में चार विदेशियों को फांसी देना “बहुत असामान्य” था।
चारों कनाडाई नागरिकों के मामले दो साल तक न्यायिक समीक्षा के अधीन थे
काम ने कहा कि चारों कनाडाई नागरिकों के मामले चीन में दो साल तक न्यायिक समीक्षा के अधीन थे, उसके बाद उन्हें फांसी दी गई। सन 2018 के अंत से कनाडा के चीन के साथ संबंध खराब हो गए हैं, जब चीनी सरकार ने चीन में दो कनाडाई नागरिकों माइकल स्पावर और माइकल कोवरिग को जेल में डाल दिया था। यह कदम कनाडा की ओर से वैंकूवर में चीनी दूरसंचार दिग्गज हुआवेई के एक कार्यकारी मेंग वानझोउ को संयुक्त राज्य सरकार के अनुरोध पर गिरफ्तार करने के बाद उठाया गया था। कोवरिग और स्पावर को चीन की ओर से हिरासत में लेने की कनाडा में व्यापक रूप से निंदा की गई थी, जिसे बंधक कूटनीति के रूप में देखा गया था। सन 2021 में मेंग को चीन लौटने की अनुमति देने के बाद स्पावर और कोवरिग को रिहा कर दिया गया।
विदेशी नागरिकों को सज़ा-ए-मौत देने का इन देशों में यह है प्रावधान
विदेशी नागरिकों को सज़ा-ए-मौत देने के विभिन्न देशों में अलग-अलग प्रावधान हैं। कई देशों में अगर विदेशी नागरिक किसी गंभीर अपराध में दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें सजा-ए-मौत दी जा सकती है।
चीन में सज़ा-ए-मौत का प्रावधान
चीन में विदेशी नागरिकों को सज़ा-ए-मौत का प्रावधान है, और यह ड्रग्स से संबंधित अपराधों, हत्या, और अन्य गंभीर अपराधों के लिए दिया जाता है। भारत में ऐसी सज़ा के उदाहरण कम
भारत में सज़ा-ए-मौत का प्रावधान आतंकवाद, हत्या, और अन्य गंभीर अपराधों के लिए है। हालांकि, विदेशियों को सज़ा-ए-मौत देने का उदाहरण कम है, लेकिन अगर किसी विदेशी नागरिक ने गंभीर अपराध किया है, तो उस पर यह कानून लागू होता है।
पाकिस्तान में विदेशी नागरिकों को सज़ा
पाकिस्तान में यदि कोई विदेशी नागरिक हत्या, आतंकवाद, ड्रग्स तस्करी, और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों का दोषी पाया जाता है, तो उसे भी सज़ा-ए-मौत दी जाती है। इन मामलों में अक्सर मानवाधिकार संगठन चिंता व्यक्त करते हैं।
बांग्लादेश में यह है प्रावधान
बांग्लादेश में विदेशी नागरिकों को यदि किसी गंभीर अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उस पर सज़ा-ए-मौत लागू की जा सकती है। सऊदी अरब में शरिया कानून के तहत
सऊदी अरब में सज़ा-ए-मौत की प्रक्रिया शरिया कानून के तहत होती है, विदेशी नागरिकों को गंभीर अपराधों जैसे हत्या, ड्रग्स तस्करी, और आतंकवाद के लिए सजा-ए-मौत दी जा सकती है।
इराक में यह है प्रावधान
इराक में सज़ा-ए-मौत आतंकवाद और अन्य गंभीर अपराधों के लिए दी जाती है, और यह विदेशी नागरिकों पर भी लागू होती है। ईरान में भी देते हैं सज़ा-ए-मौत
ईरान में भी सज़ा-ए-मौत का प्रावधान है और यह शरिया कानून के तहत किया जाता है। ड्रग्स तस्करी, हत्या, और आतंकवाद जैसी गंभीर गतिविधियों के लिए विदेशी नागरिकों को भी मौत की सजा दी जा सकती है।
सिंगापुर न्याय प्रणाली बहुत सख्त
सिंगापुर में न्याय प्रणाली काफी सख्त है। इस देश में ड्रग्स तस्करी और हत्या के मामलों में सजा-ए-मौत दी जाती है, और विदेशी नागरिकों को भी इस सजा का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका के कुछ राज्यों में सज़ा-ए-मौत
अमेरिका में विदेशी नागरिकों पर सज़ा-ए-मौत कुछ राज्यों में लागू होती है, यदि उन्होंने कोई गंभीर अपराध किया हो। हालांकि, कुछ राज्यों में सजा-ए-मौत को समाप्त कर दिया गया है।