गौरतलब है कि, भारत सार्क का संस्थापक और प्रमुख सदस्य है लेकिन पाकिस्तान की नापाक हरकतों की वजह से नई दिल्ली ने इस संगठन से अभी दूरी बना रखी है। उरी आतंकी हमले के बाद से भारत ने सार्क बैठकों को निलंबित कर रखा है। पाक मीडिया के अनुसार, कुनमिंग में हुई इस बैठक का उद्देश्य उन दक्षिण एशियाई देशों को आमंत्रित करना था जो सार्क के हिस्सा रह चुके हैं ताकि उन्हें नए संगठन में शामिल किया जा सके। कुनमिंग में हुई यह मीटिंग चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की मई में हुई बैठक के बाद हुई है। माना जा रहा है कि चीन अब अफगानिस्तान तक सीपीईसी का विस्तार करना चाहता है और तालिबान के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है।
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भारत के अनिच्छा के चलते उरी आतंकी हमले के बाद साल 2016 से ही सार्क समूह सक्रिय नहीं है। साल 2014 में काठमांडू शिखर सम्मेलन के बाद सार्क की बैठक नहीं हुई है। वहीं, भारत ने अब सार्क की जगह पर बिम्सटेक को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इससे पाकिस्तान परेशान है और वह नेपाल के रास्ते दबाव बनवा रहा था। इसके बाद भी जब भारत ने उसकी बात नहीं सुनी तो अब उसने चीन के साथ मिलकर नया सार्क बनाने जा रहा है। वहीं बांग्लादेश में भारत विरोधी मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद चीन और पाकिस्तान को नया सहयोगी मिल गया है।
चीन को भी सार्क में लाना चाहता था पाकिस्तान
पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया गया है कि चीन का प्रमुखता वाले इस नए गुट में भारत को भी न्योता दिया जाएगा। इससे पहले पाकिस्तान चाहता था कि सार्क में चीन को भी शामिल किया जाए लेकिन उसकी मंशा कभी पूरी नहीं हुई। अब नए संगठन के जरिए पाकिस्तान इसे पूरा करने के मंसूबे पाले बैठा है। आगे, इस संगठन में मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान को भी शामिल करने की तैयारी है। इस संगठन के जरिए व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने का दावा किया जा रहा है।
एक्सपर्ट की राय है कि, अगर यह संगठन खड़ा होता है तो सार्क हमेशा के लिए मर जाएगा। पाकिस्तान चाहता था कि सार्क की बैठक हो ताकि पीएम मोदी इस्लामाबाद जाएं और फिर कश्मीर को लेकर बातचीत हो लेकिन भारत के इसके लिए तैयार नहीं है। हाल ही में भारत ने सार्क के तहत पाकिस्तानी बिजनसमैन को दिए जाने वाले स्पेशल वीजा को भी पहलगाम हमले के बाद बंद कर दिया था। इससे सार्क को बड़ा झटका लगा था।