प्रदर्शनकारी इस बदलाव को सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अनुचित मानते हैं
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि 1 जनवरी को लागू किए गए पेंशन सुधारों से देश की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा। सरकार के अनुसार, इन सुधारों से सालाना अरबों रुपये की बचत होगी, मगर प्रदर्शनकारी इस बदलाव को सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अनुचित मानते हैं, क्योंकि यह उनके लिए अधिक वित्तीय दबाव बना सकता है। अधिकारियों ने पेंशन सुधारों के बारे में दलील दी कि नए नियमों से सालाना अरबों रुपये की बचत होगी। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि सुधार सरकारी सहायता पर निर्भर रहने वाले सेवानिवृत्त लोगों पर अनुचित रूप से बोझ डालते हैं।
इसे अपने हक में भेदभाव मानते हैं प्रदर्शनकारी
इस विरोध प्रदर्शन के कारण कर्मचारियों और सरकार के बीच वार्ता ठप हो गई है, और प्रदर्शन जारी रहने की संभावना है। सरकार ने यह भी कहा कि यह सुधार वित्तीय देनदारियों को कम करने में मदद करेंगे, लेकिन प्रदर्शनकारी इसे अपने हक में भेदभाव मानते हैं। इससे पहले, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान में सिविल सेवकों की संपत्ति घोषणाओं के लिए जवाबदेही तंत्र पर सवाल उठाया था। IMF ने यह भी कहा था कि जिन सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति उनकी घोषित आय से अधिक है, उनकी जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा, IMF ने सिविल सेवकों की ओर से शेयर की गई जानकारी की सत्यापन प्रक्रिया सख्त करने की सलाह दी थी।
पैकेज के तहत सिविल सेवक अधिनियम में संशोधन किए
रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार ने 7 बिलियन डॉलर के पैकेज के तहत सिविल सेवक अधिनियम में संशोधन किए हैं, जिसमें 25,000 सिविल सेवकों की संपत्ति का खुलासा किया जा सकता है। इधर आईएमएफ प्रतिनिधियों ने सरकार के साथ बैठक की और सिविल सेवकों की पदोन्नति, पोस्टिंग और जवाबदेही के मुद्दों पर चर्चा की। यह बैठक संयोग से उसी दिन हुई जब संघीय मंत्रिमंडल ने सिविल सेवक अधिनियम 1973 में संशोधन को मंजूरी दी थी। इस प्रकार, पाकिस्तान में सरकारी कर्मचारियों का विरोध और पेंशन सुधारों को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है, और यह स्थिति भविष्य में और अधिक जटिल हो सकती है।