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ईरान का इजरायल के खिलाफ ट्रू प्रॉमिस 3 ऑपरेशन लॉन्च, न्यूक्लियर डील पर कह दी बड़ी बात

ईरान और इजरायल के बीच सैन्य झड़प जारी है। ईरान ने इजरायल के खिलाफ ऑपरेशन ट्रू प्रोमिस-3 लॉन्च किया है। कागज पर ईरान भले ही ज्यादा ताकतवर दिखता हो, लेकिन इजरायल की सैन्य क्षमता ज्यादा एडवांस है और उसे अमेरिका का सपोर्ट भी हासिल है।

भारतJun 14, 2025 / 10:46 am

Pushpankar Piyush

Iran-Israel Conflict

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Iran-Israel Conflict: ईरान और इजरायल के बीच सैन्य झड़प जारी है। आज सुबह भी इजरायल (Isreal) ने ईरान (Iran) पर भीषण हमला किया है। इजरायल ने अपने मिशन का नाम राइजिंग लायन रखा है, जबकि ईरान ने अपने मिशन को ऑपरेशन ट्रू प्रोमिस-3 बताया है।

क्या है ईरान का ट्रू प्रोमिस मिशन

ईरान ने इजरायल के खिलाफ सीधी सैन्य झड़प को ऑपरेशन ट्रू प्रोमिस का नाम दिया है। इस ऑपरेशन के तहत ईरान ने इजरायल पर ड्रोन्स व मिसाइलें दागीं। ईरान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव को अपने निशाने पर लिया। ईरान ने कहा कि ट्रू प्रोमिस-3 के दौरान उसने इजरायली रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया।
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सीरिया में दूतावास पर हमले के बाद ट्रू प्रोमिस- 1 लॉन्च

1 अप्रैल 2024 को इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरानी दूतावास परिसर पर हवाई हमला किया। इस हमले में काउंसलर सेक्शन वाली इमारत तबाह हो गई। इजरायली सेना (IDF) ने हमले के बाद दावा किया था कि यह न तो वाणिज्य दूतावास था और न ही दूतावास, बल्कि यह ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स फोर्स (IGRC) की एक सैन्य इमारत थी। जिसे नागरिक इमारत के रूप में दिखाया जा रहा था। इस हमले में 16 लोग मारे गए थे। IRGC के 8 अधिकारी भी हमले में मारे गए थे।
असद रिजिम (Assad Government Syria) में सीरिया के विदेश मंत्री फैसल मेकदाद ने कहा था कि हम दमिश्क (Damascus) में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर किए गए हमले की निंदा करते हैं। जिसमें कई निर्दोष लोग मारे गए। वहीं, IRGC ने कहा कि हमले में सात ईरानी सैन्य सलाहकारों की मौत हो गई। जिनमें कुद्स फोर्स के वरिष्ठ कमांडर मोहम्मद रजा जहेदी भी शामिल हैं।
इस हमले के बाद ईरान ने पहली बार इजरायल पर सीधा हमला बोला। ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इस ऑपरेशन में इजराइल पर सैकड़ों ड्रोन्स और मिसाइलें दागीं। हालांकि, उस दौरान इजयारल को व्यापक तौर पर नुकसान नहीं हुआ था।
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हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ट्रू प्रोमिस-2 लॉन्च

27 सितंबर 2024, को इजरायल ने एयर स्ट्राइक कर लेबनान (Lebanon) के बेरूत (Beirut) में हिज्बुल्लाह के सुप्रीम कमांडर हसन नसरल्लाह को मार दिया। 28 सितंबर को हिज्बुल्लाह ने हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी। नसरल्लाह 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के बाद हिजबुल्लाह की स्थापना के समय से ही इसके साथ जुड़ा हुआ था। 1992 में उसने संगठन के नेता के रूप में कार्यभार संभाला और इसे एक राजनीतिक-सैन्य इकाई बनाने का लक्ष्य रखा। नसरल्लाह को ईरान के सुप्रीम कमांडर अयातुल्लाह अली खामनेई का करीबी माना जाता था। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान ने इजरायल पर दूसरी बार हमला किया। इस दौरान भी इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।

एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस की स्थापना

दरअसल, ईरान ने एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस (axis of resistance) के तहत इजरायल व पश्चिम के देशों के खिलाफ एक गुट तैयार किया था। लेबनान में उसने शिया के मिलिशिया विंग हिज्बुल्लाह की स्थापना की। यमन में हूथियों को सपोर्ट किया। सीरिया में असद रीजिम को अपना सैन्य व आर्थिक समर्थन दिया। गाजा में हमास को अपना समर्थन दिया।

परमाणु संयंत्रों पर हमले के बाद ट्रू प्रोमिस-3 लॉन्च

हाल ही में इंटरनेशलन एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि ईरान (IRAN) ने गुपचुप तरीके से परमाणु बम (Nuclear Bomb) बनाने के दिशा में कई परीक्षण (Nuclear Test) किए हैं। IAEA ने कहा है कि ईरान ने हथियार ग्रेड के यूरेनियम के अपने भंडार को 60 प्रतिशत बढ़ाया है। फरवरी में यूरेनियम का भंडार 133.8 किलोग्राम था, जो कि मई में 408.6 किलोग्राम कर पहुंच गया है।
इजरायली अखबार जेरूसलम पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि IAEA की टीम ने अगस्त 2020 में परमाणु परीक्षण स्थलों का दौरा किया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय टीम उस बंकर तक नहीं पहुंच पायी थी, जहां से सबकुछ कंट्रोल हो रहा था। बाद में ईरान ने उन बंकरों को ध्वस्त कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेहरान के पास 10 परमाणु बम बनाने जितनी सामग्री उपलब्ध हो गई है। इन रिपोर्टों के सामने आने के बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि इजरायल ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला कर सकता है। साथ ही, न्यूक्लियर साइंटिस्टों को मार सकता है।
शुक्रवार को अल सुबह इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के परमाणु संंयंत्रों को निशाना बनाया। करीब 200 इजरायली फाइटर जेट्स ने ईरानी न्यूक्लियर फैसिलिटी को तबाह किया। इस ऑपरेशन में ईरान के 6 वैज्ञानिक और 20 मिलिट्री कमांडर मारे गए। जिसमें ईरानी सेना के चीफ और IRGC चीफ भी शामिल थे।
इजरायली हमले के बाद ईरान ने जवाबी हमला किया। ऑपरेशन ट्रू प्रोमिस-3 के तहत ईरान ने इजरायल में बेलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन्स से हमला किया। ईरान ने कहा कि दुश्मन को अंजाम भुगतना होगा। ईरानी मीडिया के अनुसार, सेना ने इजरायली रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया। ईरान ने हमले के बाद कहा कि अगर कोई भी देश इजरायल की मदद करता है तो उसे भी अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

अब अमेरिका के साथ बातचीत करने का कोई मतलब नहीं

ईरान ने इजरायली हमले के बाद अमेरिका संग चल रही न्यूक्लियर बातचीत पर भी प्रतिक्रिया दी है। ईरान ने अमेरिका पर इजरायल को सह देने का आरोप लगाया है। ईरान ने कहा कि अब अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत करने का कोई मतलब नहीं रह गया है। ईरान ने इजरायल की मदद करने पर अमेरिका के सैन्य ठिकाने व आर्थिक-रणनीतिक अड्डों को नष्ट करने की भी धमकी दी है।
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डील रद्द होने पर दी थी हमले की धमकी

इजरायली हमले का समर्थन करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमने इजरायल का समर्थन वैसा किया है जैसा पहले किसी ने नहीं किया। ईरान के पास अब भी समय है। वह समझौता कर ले। ट्रंप ने कहा कि मेरी जिन कट्टरपंथियों से बातचीत होती थी, वे अब जिंदा नहीं हैं। इससे पहले उन्होंने न्यूक्लियर डील रद्द होने पर ईरान को हमले की धमकी दी थी।

ईरान-इजरायल में कौन ज्यादा ताकतवर

युद्ध के मोर्चे पर ईरान और इजरालय अलग-अलग पैमाने पर मजबूत दिख रहे हैं। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स के मुताबिक ताकतवर मिलिट्री की लिस्ट में इजराइल 15वें और ईरान 16वें नंबर पर है। ईरान के पास 6 लाख 10 हजार सक्रिय जवान हैं, जबकि इजरायल के पास 1.70 लाख जवान हैं। ईरान के पास 3.50 लाख रिजर्व सैनिक हैं, जबकि इजरायल के पास 4.65 लाख रिजर्व सैनिक हैं।
ईरान के पास 2.20 लाख पैरामिलिट्री के जवान हैं, जबकि इजरायल के पास 35 हजार पैरामिलिट्री फोर्स है। ईरान के पास 65,885 बख्तरबंद गाड़िया हैं, जबकि इजरायल के पास 35,985 गाड़ियां हैं। ईरान के पास 1700 टैंक, इजरायल के पास 1300 टैंक हैं। ईरान के पास 1513 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स हैं, इजरायल के पास 183 प्रोजेक्टर्स हैं। ईरान के पास 3405 आर्टिलरी क्षमता है, इजरायल के पास 1100 है। ईरान के पास 25 पनडुब्बी है, इजरायल के पास 5 पनडुब्बी है।
ईरान के पास 5 फ्रिगेट युद्धपोत है। ईरान के पास 188 फाइटर एयर क्राफ्ट है, इजरायल के पास 240 फाइटर एयरक्राफ्ट है। ईरान के पास 13 अटैक हेलीकॉप्टर है, इजरायल के पास 48 हेलीकॉप्टर है। ईरान के पास 87 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जबकि इजरायल के पास 13 ट्रांसपोर्ट एयर क्राफ्ट है।
कागज पर ईरान की सैन्य क्षमता ज्यादा ताकतवर दिखती है, लेकिन ईरान का सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पुराना है। इजरायल की सैन्य क्षमता कागज पर भले ही सीमित दिखती हो, लेकिन सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक है। साथ ही, उसे अमेरिकी व पश्चिमी सहयोग भी हासिल है।

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