हम सीरियाई सेना को तबाह कर देंगे
इजरायल ने धमकी दी थी कि अगर सीरियाई सेना ने दक्षिण सीरिया में द्रूज समुदाय पर हमला बंद नहीं किया तो वह सीरिया की सेना को तबाह कर देगा। दरअसल, दक्षिण सीरिया के स्वेइदा शहर में द्रूज के लड़ाके और सरकार की सेना के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। इसमें सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। बसर अल असद की सरकार का तख्तापलट करने के बाद सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल शरा ने कहा था कि वह अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा करेंगे, लेकिन लोग डरे हुए हैं। इजरायल का कहना है कि वह द्रूज समुदाय की रक्षा करेगा और अपनी सीमा से सटे सीरिया के इलाकों में सेना भेज चुका है। द्रूज समुदाय के धार्मिक नेता ने अल शरा की सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी सेना बर्बर तरीके से हत्या कर रही है, जबकि सरकार का कहना है कि हिंसा के पीछे अपराधी गिरोह हैं।
अमेरिका ने की हिंसा की निंदा
अमेरिका ने भी दक्षिण सीरिया में नागरिकों व अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की निंदा की है। सीरिया में अमेरिकी विशेष दूत टॉम बैरक ने कहा कि हम स्वेइदा शहर में नागरिकों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हैं। सभी पक्षों को लड़ाई से पीछे हटना चाहिए। सार्थक बातचीत में शामिल होना चाहिए। इससे स्थाई तौर पर सीजफायर हो सके। वहीं, अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
कौन हैं द्रूज?
द्रूज नागरिक अरब ही माने जाते हैं। इस समुदाय की उत्पत्ति 11वीं सदी के दौरान मिस्र में हुई थी। ये न तो पूरी तरह से इस्लामिक धर्म को मानते हैं, न ही पूरी तरह से ये ईसाई हैं। ये इन दोनों के बीच से निकला हुआ एक धर्म है। 11वीं सदी में शिया इस्लाम से निकली हुई शाखा मानी जाती है। इसमें इस्लाम, हिंदू, ईसाई, बौद्ध और अन्य धर्मों के दार्शनिक तत्व शामिल हैं। द्रूज समुदाय मुख्य रूप से इजरायल, सीरिया, मिस्त्र और जॉर्डन में रहते हैं। ये समुदाय ईश्वर के एकेश्वरवाद में आस्था रखते हैं। वह अपनी धार्मिक किताबों को गुप्त रखते हैं। समुदाय के कुछ चुनिंदा सदस्यों को गहरे धार्मिक ज्ञान तक पहुंच होती है। इसमें धर्मांतरण (धर्म के अंदर या बाहर) की इजाजत नहीं है और न ही ये दूसरे धर्मों में शादी को मान्यता देते हैं। द्रूज की तादाद सीरिया में करीब 7 लाख है और विवादित गोलन हाइट्स में इनकी संख्या 20 हजार है।