इस समझौते के कारण मेहुल चोकसी पर की कार्रवाई
बता दें कि मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी में जिस समझौते का ज़िक्र है, वह भारत और बेल्जियम के बीच 1901 में हुई प्रत्यर्पण संधि है। यह संधि ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा बेल्जियम के साथ की गई थी, जो आज भी लागू है। इसके तहत दोनों देशों को यह अधिकार है कि वे एक-दूसरे से अपराधियों के प्रत्यर्पण की मांग कर सकते हैं।चोकसी को भारत लाने की तैयारी शुरू
भगोड़े मेहुल चोकसी को अब भारत लाने की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि, चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने दावा किया है कि वह स्वास्थ्य कारणों (कैंसर का इलाज और PTSD) के चलते प्रत्यर्पण का विरोध करेंगे और जमानत या अपील के जरिए कानूनी दांव-पेंच आजमा सकते हैं।वकील ने क्या कहा
मेहुल चोकसी के वकील ने बताया कि फिलहाल वह जेल में है। वहां प्रक्रिया के तहत जमानत के लिए आवेदन नहीं कर सकते है लेकिन अपील दायर कर सकते है। इसमें अनुरोध किया जाता है कि हिरासत में न रखा जाए। उसे हिरासत में न रखते हुए स्वयं का बचाव करने और प्रत्यर्पण अनुरोध का विरोध करने की इजाजत दी जाए। यह भी पढ़ें