क्या है NASA की प्लानिंग
द न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर के मुताबिक नासा पहले से ही चीन के CNSA, रूस के रोस्कोस्मोस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी यानी ESA समेत लगभग सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए काम कर रहा है। वहीं अब आगे इस क्षुद्रग्रह (Asteroid composition analysis) की धरती से टकराने की संभावनाओं में कुछ बदलाव होता है तो साइंटिस्ट इस एस्टेरॉयड के रास्ते को बदलने या इसे पूरी तरह से नष्ट करने के लिए विस्फोटकों से लैस रॉकेट तैनात कर सकते हैं। इस बात की जानकारी देते हुए नासा के एक अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा कि एजेंसी के इस प्लान से इसे नष्ट करना आसान होगा और इस काम के लिए बहुत ज्यादा विस्फोटकों की ज़रूरत भी नहीं होगी। लेकिन अभी जो सबसे बडी़ चुनौती है वो है, इसे नष्ट करने की और विस्फोटकों को सही समय पर सही जगह पर विस्थापित करने की। ये NASA के लिए सबसे बड़ा और मुश्किल काम है।
नहीं बनेगा परमाणु बम
दूसरी तरफ NASA ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि इस क्षुद्रग्रह को नष्ट करने के लिए क्या परमाणु बम (Nuclear Options for asteroid deflection) बनाया जाएगा, हालांकि अंतरिक्ष विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु बम बनाने का विकल्प अभी भी खुला हुआ है। NASA का कहना है कि एजेंसी इस पूरे साल 2025 में इस एस्टेरॉयड को ट्रैक कर सकती है। अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक द प्लैनेटरी सोसाइटी के मुख्य वैज्ञानिक ब्रूस बेट्स ने इस क्षुद्रग्रह के विनाश की चेतावनी दे दी है। उनका कहना है कि आने वाले महीनो में या कुछ सालों में इस एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की संभावना शून्य हो जाएगी।
क्या है 2024 YR-4 एस्टेरॉयड?
दरअसल साल 2024 में इस क्षुद्रग्रह को पहली बार दिसंबर 2024 के अंत में चिली में एस्टेरॉयड का पता लगाने वाले सिस्टम के वैज्ञानिकों ने देखा था। उस समय इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना 1.3 प्रतिशत बताई गई थी, लेकिन इसके एक हफ्ते बाद ये बढ़कर 2.3 प्रतिशत हो गई थी और अब 3 प्रतिशत से ज्यादा हो गई थी लेकिन NASA ने फिर इसे घटाकर 1.5 कर दिया है।
अगर टकराया तो भारत समेत इन इलाकों में होगी तबाही
NASA ने इस एस्टेरॉय़ड के धरती से टकराने की संभावना को लेकर एक धरती पर एक जोखिम गलियारा बनाया है। जिसमें वो इलाके शामिल हैं, जिन पर इस क्षुद्रग्रह का विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। इन इलाकों में उत्तरी दक्षिण अमेरिका से लेकर प्रशांत महासागर, दक्षिणी एशिया, अरब सागर और अफ्रीका , भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश वेनेजुएला, कोलंबिया, इक्वाडोर, सूडान, नाइजीरिया और इथियोपिया शामिल हैं।