हसीना बांग्लादेश की जनता को भड़काने वाली भाषा में संबोधित न करें
यूनुस ने दावा किया कि उन्होंने पीएम मोदी से स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “मैं आपको हसीना को भारत में रखने से नहीं रोक सकता, लेकिन कृपया यह सुनिश्चित करने में हमारी मदद करें कि वह बांग्लादेश की जनता को सोशल मीडिया के जरिए भड़काने वाली भाषा में संबोधित न करें।” इस संदर्भ में यूनुस ने भारत की भूमिका पर असंतोष जताते हुए कहा कि दिल्ली अब भी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है।
“आपको मजबूर नहीं कर सकते…” -पीएम मोदी से बोले यूनुस
बांग्लादेश में बीते वर्ष अगस्त 2024 में छात्र-आंदोलन के बाद हसीना को सत्ता से हटाया गया था, जिसके बाद एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और वर्तमान अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने लंदन के चैथम हाउस में अपने हालिया भाषण में भारत को लेकर गहरी नाराज़गी जताई।
यह सोशल मीडिया है, हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते: मोदी
उन्होंने कहा, “पूरा गुस्सा और सब कुछ अब भारत में स्थानांतरित हो गया है, क्योंकि वह (हसीना) वहां चली गई हैं। जब मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, तो उन्होंने कहा – ‘यह सोशल मीडिया है, हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।'” यूनुस के अनुसार, हसीना की पूर्वघोषित सोशल मीडिया स्पीचेस से बांग्लादेश में अशांति का माहौल बन रहा है, और आम जनता का आक्रोश बढ़ रहा है।
कूटनीतिक मोड़: प्रत्यर्पण की मांग
यूनुस ने यह भी बताया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत को एक अनौपचारिक राजनयिक नोट सौंपा है जिसमें हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई है। भारत ने इस नोट की प्राप्ति की पुष्टि तो की है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में एक संवेदनशील मोड़ आया
इस घटनाक्रम से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में एक संवेदनशील मोड़ आ गया है, जहां एक ओर नई दिल्ली को अपने पड़ोसी देश की स्थिरता का ख्याल रखना है, वहीं दूसरी ओर मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे सिद्धांतों का भी संतुलन साधना है।
राजनीतिक हलकों में हलचल, सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं
मुहम्मद यूनुस के इस बयान के बाद बांग्लादेश और भारत दोनों देशों के राजनीतिक और कूटनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बांग्लादेश की विपक्षी पार्टियों ने इसे “भारत द्वारा लोकतंत्र को समर्थन” देने की अपील बताया, वहीं हसीना समर्थकों ने सोशल मीडिया पर यूनुस पर “राजनीतिक विद्वेष” फैलाने का आरोप लगाया है।
बांग्लादेशी युवा वर्ग दो हिस्सों में बंटा
उधर ट्विटर पर #HasinaSpeaks और #YunusVsIndia ट्रेंड कर रहे हैं, जहाँ बांग्लादेशी युवा वर्ग दो हिस्सों में बंटा नज़र आ रहा है -एक हसीना को ‘जनता की आवाज़’ मानता है, दूसरा इसे “बाहरी जमीन से हस्तक्षेप” कहता है।
भारत की प्रतिक्रिया का इंतज़ार, MEA की चुप्पी सवालों के घेरे में
भारत सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के सूत्रों ने संकेत दिया है कि “कूटनीतिक स्तर पर सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।” राजनयिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला भारत की क्षेत्रीय नीति के लिए एक अग्नि-परीक्षा है -जहां उसे पड़ोसी स्थिरता, लोकतांत्रिक मूल्यों और अपनी संप्रभुता के बीच संतुलन बनाना होगा।
भारत में राजनीतिक शरण, क्या अंतरराष्ट्रीय कानून चुनौती बनेगा ?
शेख हसीना भारत में रह रही हैं, लेकिन उनकी कानूनी स्थिति अब सवालों के घेरे में है। क्या उन्हें आधिकारिक राजनीतिक शरण मिली है या वे केवल “अतिथि” हैं- यह स्पष्ट नहीं। अगर भारत उन्हें राजनीतिक शरण देता है, तो यह दक्षिण एशिया में एक अहम उदाहरण बनेगा, जो भविष्य में अन्य देशों के लिए भी मिसाल बन सकता है। दूसरी ओर, सोशल मीडिया के ज़रिए विदेशी धरती से बयान देना, क्या भारत के साइबर कानूनों और विदेश नीति के अनुरूप है -यह एक संवेदनशील प्रश्न बनकर उभरा है।
एक्सक्लूसिव इनपुट क्रेडिट: चैथम हाउस, लंदन में दिए गए भाषण, और बांग्लादेशी राजनयिक सूत्रों के विशेष इनपुट पर आधारित। यूनुस के भाषण का पूर्ण विवरण और भारत को भेजा गया “अनौपचारिक राजनयिक नोट” पहली बार इसी रिपोर्ट में सामने लाया गया है।