सलवान मोमिका कौन था?
सलवान मोमिका और एक सह-प्रतिवादी पर स्टॉकहोम अदालत में कुरान जलाने के बारे में की गई टिप्पणियों के कारण नस्लीय घृणा भड़काने का आरोप लगाया गया था। गुरुवार सुबह फैसला होने की उम्मीद थी।
सलवान मोमिका ने कई बार कुरान जलाया
गौरतलब है कि 2023 में, 38 वर्षीय सलवान मोमिका ने स्वीडन में क़ुरान कई बार जलाया और उसका अपमान किया। उनके कार्यों ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया, जिससे कई मुस्लिम देशों में आक्रोश फैल गया और दंगे और अशांति फैल गई।
विरोध इस्लाम धर्म के खिलाफ था
मोमिका ने अदालत में दलील दी थी कि उसका विरोध इस्लाम धर्म के खिलाफ था, मुसलमानों के खिलाफ नहीं, और वह स्वीडन के लोगों को क़ुरान के संदेशों से बचाना चाहता था। स्वीडिश पुलिस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी, लेकिन फिर भी उसके खिलाफ आरोप दायर किए गए।
मोमिका को देश से बाहर निकालने का फैसला
ध्यान रहे कि स्वीडिश माइग्रेशन एजेंसी ने 2023 में मोमिका को देश से बाहर निकालने का फैसला किया। हालांकि, इराक में उनके खिलाफ धमकियों के कारण, निष्कासन नहीं किया गया था, और उन्हें अप्रैल 2024 तक वैध एक नया अस्थायी निवास परमिट दिया गया था।
कैथोलिक था सलवान मोमिका
उत्तरी इराक़ के नीनवे प्रांत के काराकोश के अल-हमदानिया जिले के सलवान मोमिका का पालन-पोषण एक असीरियन कैथोलिक के रूप में हुआ था। इस्लामिक स्टेट की ओर से ईसाइयों के उत्पीड़न के बीच 2006-2008 के गृह युद्ध के दौरान, वह असीरियन पैट्रियटिक पार्टी में शामिल हो गया और इसके मोसुल मुख्यालय में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्य किया।
इमाम अली ब्रिगेड से वफादारी की शपथ ली थी
आईएसआईएस आतंकवादियों के जून 2014 में मोसुल पर कब्जे के बाद मोमिका इस्लामिक स्टेट का विरोध करने के लिए पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) का हिस्सा बन या। वीडियो में उसे ईसाई इकाई के सदस्य के रूप में सैन्य पोशाक पहने, आग्नेयास्त्र पकड़े और इराक के इस्लामी आंदोलन की सैन्य शाखा इमाम अली ब्रिगेड के प्रति वफादारी की शपथ लेते हुए देखा गया था।
दुनिया में कब-कब कहां-कहां हुईं क़ुरान जलाने की घटनाएं
क़ुरान जलाने की घटनाएं कई बार दुनिया भर में हुई हैं, जिनमें विभिन्न देशों में विवाद और विरोध हुआ। यहां कुछ प्रमुख घटनाएं पेश हैं: स्वीडन (2023) – सलवान मोमिका ने स्वीडन में कई बार कुरान जलाया, जिससे मुस्लिम समुदाय में विरोध हुआ। उसका यह कृत्य पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना और कई मुस्लिम देशों में तनाव पैदा हुआ।
डेनमार्क (2019) – रिकॉर्ड नामक व्यक्ति ने कोपेनहेगन में सार्वजनिक रूप से क़ुरान जलाया, इसके बाद कई मुस्लिम देशों में विरोध प्रदर्शन हुए। नीदरलैंड (2018) – डच सांसद गर्ट वाइल्डर्स ने एक सार्वजनिक प्रदर्शन में क़ुरान को जलाने धमकी दी, जिससे पूरे यूरोप में विवाद खड़ा हो गया।
अमेरिका (2010) – एक अमेरिकी पादरी टेरी जोन्स ने फ़्लोरिडा में एक चर्च में क़ुरान जलाने की धमकी दी थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध हुआ और हिंसा भड़की। पाकिस्तान (2011) – पाकिस्तान में एक ईसाई व्यक्तियों ने कथित तौर पर कुरान के कुछ पन्ने जलाए थे, इसके बाद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे और कई लोगों की मौत हो गई थी।
बोस्निया (2012) – एक व्यक्ति ने सराजेवो में क़ुरान जलाया था, जिससे मुस्लिम समुदाय में विरोध और हिंसा का माहौल बना। क़ुरान जलाने के इस तरह के कृत्य अक्सर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले माने जाते हैं, और इससे विभिन्न देशों में तनाव और हिंसा का माहौल बन जाता है।