सऊदी अरब से भारतीय हाजियों का पहला जत्था कब लौटेगा ?
भारतीय हाजियों का पहला जत्था 11 जून 2025 को सऊदी अरब से भारत लौटना शुरू होगा। यह जानकारी हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी हज उड़ान शेड्यूल से प्राप्त हुई है।
अरब से कितने कितने हाजी भारत लौटेंगे?
इस वर्ष भारत का हज कोटा 1,75,025 निर्धारित किया गया है, जिसमें से 122,518 हाजियों की व्यवस्था हज कमेटी ऑफ इंडिया की ओर से की गई है । सभी हाजी 11 जून से 10 जुलाई 2025 तक विभिन्न उड़ानों के माध्यम से भारत लौटेंगे।
चंद्र कैलेंडर पर आधारित है ईद की तारीख
ईद-उल-अज़हा इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के 12वें महीने ज़िल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेंडर पूर्ण रूप से चांद की गति पर आधारित होता है और हर नए महीने की शुरुआत चांद के दीदार यानी हिलाल के दिखने से होती है।
स्थानीय चांद दिखने की परंपरा
भारत और सऊदी अरब में स्थान और समय के फर्क के कारण चांद का दीदार अलग-अलग दिन होता है। सऊदी अरब में चांद पहले दिख जाता है, क्योंकि वह भारत से करीब 2.5 घंटे पीछे टाइमज़ोन में आता है और मौसम अधिक शुष्क और स्पष्ट होता है। भारत में चांद एक दिन बाद दिखने की संभावना अधिक रहती है, इसलिए यहां त्योहार एक दिन बाद मनाया जाता है।
सऊदी अरब की सेंट्रल मून साइटिंग अथॉरिटी
सऊदी में चांद देखने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट और खगोलीय विभाग संचालित करता है। भारत में चांद देखने के लिए स्थानीय चांद कमेटियों (रुयत-ए-हिलाल कमेटी) की भूमिका होती है, जो अलग-अलग शहरों में होती हैं। यह कारण भी तारीखों में फर्क लाता है।
समय क्षेत्र (Time Zone) का प्रभाव
सऊदी अरब भारत से 2 घंटे 30 मिनट पीछे है। इस समय अंतर की वजह से वहां सूर्यास्त और चांद दिखाई देने का समय पहले आता है, जिससे वहां चांद एक दिन पहले देखा जा सकता है।
चांद दिखने की परंपरा इस्लामिक शरियत से जुड़ी हुई
धार्मिक विद्वान मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि चांद दिखने की परंपरा इस्लामिक शरियत से जुड़ी हुई है। “हर क्षेत्र अपने स्थानीय चांद को देखकर ही त्योहार मनाता है। यह परंपरा सऊदी अरब की तर्ज पर नहीं, बल्कि हदीस की तर्ज पर है।” सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या भारत को भी सऊदी की तर्ज पर एक तय कैलेंडर अपनाना चाहिए, जिससे भ्रम खत्म हो सके।
ईद और चांद के सुलगते सवाल
क्या भारत सरकार या किसी मुस्लिम संस्था ने कभी 統 एक समान इस्लामिक कैलेंडर पर विचार किया है? क्या ISNA (Islamic Society of North America) की तरह भारत में भी वैज्ञानिक चंद्र कैलेंडर अपनाने की जरूरत है? क्या अलग-अलग तारीखें ईद जैसे एकता के प्रतीक त्योहार की भावना को नुकसान पहुंचाती हैं?
ईद की तारीख : विज्ञान बनाम परंपरा
कई इस्लामिक देश अब खगोलीय गणना के आधार पर ईद की तारीख तय करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या भारत भी विज्ञान और धर्म में संतुलन बना सकता है?
दक्षिण भारत बनाम उत्तर भारत का फर्क
कई बार केरल में बकरीद या रमज़ान, उत्तर भारत से एक दिन पहले मनाई जाती है क्योंकि वहां अलग चांद कमेटी होती है और अरब देशों से सीधा संपर्क होता है।
हज के तुरंत बाद मनाई जाती है ईद
सऊदी अरब में ईद-उल-अजहा हमेशा हज के तुरंत बाद मनाई जाती है। 9 ज़िलहिज्जा को हज का दिन (यौम-ए-आराफा) होता है और 10 ज़िलहिज्जा को ईद-उल-अजहा।
भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश में चांद को मान्यता
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देश अपनी स्थानीय चांद कमेटियों के अनुसार चांद देखकर ईद मनाते हैं, जबकि सऊदी अरब अपनी खगोलीय गणना और चांद की दृष्टि के अनुसार तारीख तय करता है।
चांद और भूगोल का भी असर
भारत सऊदी से लगभग 2.5 घंटे आगे है और भौगोलिक स्थिति के कारण कभी-कभी चांद भारत में एक दिन बाद दिखता है, जिससे त्योहार की तारीख बदल जाती है।
खगोलीय, धार्मिक और भौगोलिक कारण
बहरहाल बकरीद की तारीख का फर्क खगोलीय, धार्मिक और भौगोलिक कारणों से होता है। सऊदी अरब में हज होने और वहां चांद जल्दी दिखने के कारण वहां बकरीद भारत से एक दिन पहले मनाई जाती है।