भक्तजनों की संख्या सैकड़ों या फिर हजारों में नहीं बल्कि लाखों में होती है और इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सत्कार करना भी सरसपुर में भलिभांति देखने को मिलेगा। सभी को भोजन की व्यवस्था की जाती है, जिसे लोग बड़े प्रेम से जमीन पर बैठकर करते हैं। लोगों को भोजन के रूप में क्या अच्छा लगता उसके मद्देनजर भी यहां व्यवस्था की जाती है। सरसपुर में एक जगह नहीं बल्कि जगह-जगह भोजन का प्रबंध होता है। इनमें पूड़ी-सब्जी, मोहनथाल, सब्जी खिचड़ी, फूलवड़ी व बूंदी, लड्डू पूड़ी, सब्जी, पूड़ी सब्जी, दाल चावल जैसे भोजन परोसे जाते हैं।
एक अनुमान के अनुसार शुक्रवार को रथयात्रा के दिन सरसपुर की विविध शेरी और पोलों में लगभग दो लाख लोगों ने भोजन के रूप में प्रसाद ग्रहण किया। लोग जबरन भोजन को ले जा रहे थे रथयात्रा में शामिल भारी भीड़ में से लोगों को सरसपुर वासी जबरन खाना खाने के लिए ले जा रहे थे। लोग स्वेच्छा से परोस रहे थे और श्रद्धालु आराम से खाना खा रहे थे।
भोजन प्रसाद की सामग्री
एक अनुमान के अनुसार सरसपुर में रथयात्रा के दिन सभी जगहों पर लगभग 20 हजार किलो आटा, साढ़े चार हजार से पांच हजार किलो चीनी, 15 से 20 हजार किलो सब्जी, 2500 किलो घी के अलावा तेल के लगभग 250 पीपा उपयोग में आते हैं। इसके अलावा चावल, दाल व अन्य वस्तुएं अलग हैं।
इन जगहों पर डेढ़ से दो लाख ने किया भोजन
सरसपुर में शुक्रवार को वासण शेरी, तळिया की पोल, गांधी की पोल, मोटी सालवीवाड, रूडी मा का रसोडा, लीमडा की पोल, लवार शेरी, स्वामीनारायण मंदिर, लुहार शेरी, कडियावाड, ठाकोरवास, लीमडा की पोल समेत कई जगहों पर लोगों ने भोजन के रूप में प्रसाद ग्रहण किया।