राजस्थान में यहां पार्षद का जाति प्रमाण पत्र निकला फर्जी, OBC वार्ड से जीता था चुनाव, जिला छानबीन कमेटी ने किया निरस्त
Fake OBC Certificate Of Councilor Shravan Kumar: पार्षद श्रवण कुमार पुत्र हुकमचन्द का एक प्रवासी के रूप में यहां निवास करना पाया गया। उसने 27 जुलाई 1991 को जारी मूल निवास प्रमाण-पत्र तथ्यों को छिपाकर एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर जारी करवाया।
Ajmer News: नगर निगम के वार्ड 59 के पार्षद सन्नू उर्फ श्रवण कुमार के अन्य पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है। जिला कलक्टर के स्तर पर गठित छानबीन समिति ने इसे खारिज कर दिया। जांच में पार्षद श्रवण के जन्म प्रमाण पत्र और दस वर्षों से राजस्थान में निवास कर शिक्षा दीक्षा यहीं ग्रहण करने संबधी दस्तावेज भी असत्य पाए गए। चूंकि पार्षद सन्नू ने ओबीसी वार्ड से चुनाव लड़ा है, ऐसे में पार्षद पद छीना जा सकता है।
पार्षद श्रवण कुमार पुत्र हुकमचन्द का एक प्रवासी के रूप में यहां निवास करना पाया गया। उसने 27 जुलाई 1991 को जारी मूल निवास प्रमाण-पत्र तथ्यों को छिपाकर एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर जारी करवाया। इसी प्रमाण पत्र के आधार पर उसे अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र संख्या 19240382161- 16 दिसंबर 2019 नाई वर्ग/जाति में जारी किया गया। छानबीन समिति ने अवैध एवं अनुचित / कूटरचित तथ्यों के आधार पर खारिज कर निरस्त करने के आदेश दिए हैं।
प्रार्थी फूस की कोठी निवासी कृष्ण कुमार जोशी ने निकाय विभाग को शिकायत देकर श्रवण कुमार पुत्र हुकमचन्द निवासी चूना भाटा रोड़, तोपदड़ा अजमेर के ओबीसी प्रमाण पत्र को निरस्त करने की मांग की। जांच में पाया गया कि सर्टिफिकेट धारी श्रवण कुमार पुत्र हुकमचंद के माता-पिता व स्वयं श्रवण कुमार ग्राम अड़िग मथुरा उत्तर प्रदेश के निवासी हैं व श्रवण कुमार ग्राम अड़िग मथुरा से माईग्रेट होकर अजमेर आया है इसलिए वह राजस्थान में अनारक्षित श्रेणी में माना जाएगा। इन आधारों पर ओ.बी.सी प्रमाण पत्र को निरस्त करने की मांग की।
प्राथी ने पेश किए सबूत
श्रवण कुमार ने अपने समर्थन में 1994 की वोटर आईडी, पासपोर्ट, राशनकार्ड, निवास की रजिस्ट्री, आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, लाइसेंस, गैस कनेक्शन, रोजगार पंजीयन पत्र, आईटीआई का प्रवेश पत्र आदि प्रस्तुत किए। कमेटी ने श्रवण के खिलाफ जिला रजिस्ट्रार भरतपुर को भी जन्म प्रमाण पत्र निरस्त करने व प्राथमिकी दर्ज करने के लिए लिखा है।
कमेटी ने फैसले में यह भी लिखा कि अन्य राज्य से माइग्रेट होकर आया व्यक्ति स्वयं के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं करवा सकता लेकिन उसकी संतान जो यहीं पैदा हुई हो और पढाई कर रही हो, उसके लिए जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। मूल निवास प्रमाण पत्र में अजमेर में 10 साल से रहना बताया जो संभव नहीं है। वर्ष 1988 तक श्रवण मथुरा में पढ़ाई कर रहा था तो मूल निवास प्रमाण पत्र 27 जुलाई 1991 कैसे बनाया जा सकता है।
मेरे साथ राजनीतिवश इस प्रकार की शिकायतें की जा रही हैं। मैं प्रकरण का फैसले का अध्ययन कर विधिक राय लूंगा व अपने हक की कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। श्रवण कुमार सन्नू, पार्षद
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