अजमेर से पुष्कर तक ही लाइन बिछी होने से मेड़ता तक विस्तार नहीं हुआ और ना ही यात्री भार बढ़ा। करीब 12 वर्ष पूर्व 800 करोड़ की लागत से अजमेर-पुष्कर लाइन व रेलवे स्टेशन विकसित तो हुआ मगर जिस मकसद से यह प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ वह अभी पूरा नहीं हुआ है।
लाइन का विस्तार नहीं होने से पश्चिम
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा कनेक्टिविटी नहीं हो पाई है। इस लाइन के विस्तार से अजमेर से जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर तक नया रूट भी मिल जाएगा। यही नहीं सामरिक दृष्टि से नसीराबाद छावनी से बॉर्डर तक सेना की पहुंच आसान होगी।
इन पर हो रहा खर्च, आवक कम
वर्तमान में पायलट, सहायक पायलट, टीटी, रनिंग स्टाफ, प्वाइंट मेन, रेलवे फाटक का स्टाफ आदि के वेतन का खर्च प्रतिमाह है। पुष्कर रेलवे स्टेशन के रखरखाव, बिजली आदि स्टाफ के वेतन शामिल हैं, लेकिन आवक के मामले में कुछ खास नहीं है। पर्यटकों की रहती आवक, नगर बसों पर निर्भर
पुष्कर में करीब एक करोड़ पर्यटक देश-विदेश से पुष्कर आते हैं, लेकिन 90 फीसदी यात्री भार बस, निजी वाहनों पर है। रेलवे में बहुत कम लोग यात्रा कर रहे हैं। मात्र पुष्कर मेले में ही रेल से यात्री व पर्यटक पुष्कर पहुंचते हैं।
यह भी बताया जा रहा है बंद का कारण
मदार-पुष्कर रेलखंड के मध्य अनुरक्षण कार्य के कारण रेल यातायात को ठप कर दिया गया है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार गाड़ी संख्या 09607- 08 अजमेर-पुष्कर-अजमेर टर्मिनस रेलसेवा फरवरी तक स्थगित रहेगी।
हालांकि मुख्य वजह यात्री भार बहुत कम होना भी है। जानकारी के अनुसार पुष्कर-मेड़ता लाइन के लिए भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया अब शुरू हुई है। इस ट्रेक के लिए प्रारंभिक रूप से 97 करोड़ का बजट भी जारी हुआ है। इससे पुष्कर लाइन का मेड़ता तक विस्तार की आस भी बंध गई है।