स्यार व आस-पास के गांवों से 56 यात्रियों का दल 22 जनवरी दोपहर 12 बजे प्रयागराज के लिए रवाना हुआ। तीर्थ यात्रियों के अनुसार दल खाटू श्याम, मथुरा गोकुल, वृंदावन, अयोध्या, काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के पश्चात 28 को सुबह 6 बजे प्रयागराज पहुंचा। पार्किंग स्थल से लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलकर मधुबनदास के आश्रम पहुंचे और रात 12 बजे संगम स्नान के लिए निकले। करीब 8-9 किलोमीटर पैदल चलने के बाद संगम तट पहुंचे और स्नान के बाद करीब ढाई बजे वापस रवाना हुए।
अचानक मची भगदड़
रामनारायण ने बताया कि पत्नी, भाई और एक-दो अन्य के साथ स्नान करके लौट रहे थे। वे एरावत मार्ग से निकल रहे थे तो भगदड़ मच गई और दल के यात्री बिछुड़ गए। भगदड़ में भीड़ के भारी दबाव से वे गिर गए। जैसे-तैसे करके वे तो खड़े हो गए, लेकिन पत्नी संभल नहीं सकी और भीड़ उसे कुचलती हुई निकलती रही। बाद में पुलिस-प्रशासन के लोग पहुंचे और उसे एम्बुलेंस से चिकित्सालय ले गए। दोपहर बाद प्रयागराज में बने गंगा प्रसार थाने से जानकारी मिलने पर वे चिकित्सालय पहुंचे और शिनाख्त की। आवश्यक औपचारिकता के बाद एम्बुलेंस से शव लेकर गांव के लिए रवाना हुए।
बेटा बोला-क्या पता था कि मां अब लौटकर नहीं आएगी
निहाली देवी के पुत्र सांवरलाल बैरवा ने बताया कि मां कुंभ स्नान की इच्छा जता रही थी। गांव और मौहल्ले से कई जनों के जाने की जानकारी मिलने पर उन्होंने भी माता-पिता को प्रयागराज भेज दिया। क्या पता था कि मां अब लौटकर नहीं आएगी। उल्लेखनीय है कि निहाली के दो पुत्र व दो पुत्रियां हैं। इनमें एक पुत्र व दो पुत्रियां विवाहित हैं।