अलवर से बहरोड़ की दूरी अब एक घंटे में पूरी होगी। यह मार्ग फोरलेन बनने जा रहा है। इसके लिए 2.50 करोड़ रुपए डीपीआर तैयार करने में खर्च होंगे। यह कार्य पीडब्ल्यूडी ने शुरू कर दिया है। अलवर से बहरोड़ की दूरी करीब 60 किमी है। टूलेन मार्ग होने के चलते बहरोड़ का सफर करीब डेढ़ घंटे में पूरा हो रहा है।
मार्ग भी कई जगह से खराब है। साथ ही डिवाइडर न होने के कारण वाहनों को दौड़ने पर खतरा भी रहता है। ऐसे में समय अधिक लगता है। बहरोड़ अब दूसरे जिले का हिस्सा है, लेकिन अलवर के लिहाज से वहां का सफर महत्वपूर्ण हो जाता है। वहां से सीधे दिल्ली रास्ता निकलता है। बहरोड़ में अलवर के तमाम परिवारों के कारोबार चल रहे हैं, जो हर दिन सफर करते हैं। इसके अलावा अलवर भी लोग नौकरी आदि के लिए आते हैं। कुल मिलाकर हर दिन 4 लाख से ज्यादा वाहन इस मार्ग से निकलते हैं।
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डिवाइडर बनने से रफ्तार बढ़ेगी
60 किमी मार्ग के फोरलेन होने व डिवाइडर बनने से वाहनों की रफ्तार बढ़ेगी। डिवाइडर के मध्य फूलदार पौधे भी लगेंगे। इससे सुंदरता बढ़ेगी। अभी फिलहाल पीडब्ल्यूडी ने जेल सर्किल के आगे का हिस्सा चौड़ा किया था, लेकिन डिवाइडर वहां नहीं बन पाया। अब इस प्रोजेक्ट में इसे शामिल किया जा सकता है। फोरलेन पर करीब 80 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे पहले राष्ट्रीय राजमार्ग-62 पर नागौर से जोधपुर जिले के नेतड़ा तक 87 किलोमीटर लंबी फोरलेन सड़क निर्माण को केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने मंजूरी दी थी।
पीडब्ल्यूडी सड़क फोरलेन करने से पहले समान रूप से सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण हटवाए। साथ ही सरकार जमीन को सुरक्षित करे। डिवाइडर के कट भी नियमानुसार लगाए जाएं, ताकि जनता को भी आसानी हो और वाहन चालकों की भी रफ्तार न रुके। समय पर इस प्रोजेक्ट का धरातल पर आना जरूरी है।