इधर. राज्य भर के किसान इस योजना में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। राज्य भर 21 लाख पशुओं का रजिस्ट्रेशन करे का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अभी तक केवल 5 लाख 67 हजार 151 ही रजिस्ट्रेशन हो पाए हैं। यानी 100 प्रतिशत में से केवल 27.01 प्रतिशत ने ही बीमा के लिए पंजीयन करवाया है।
अधिकतम राशि होगी 40 हजार रुपए पहले चरण में राज्य के 21 लाख पशुओं का बीमा किया जाना है। इसलिए प्रदेश के 5.5 लाख दुधारू गाय, और भैंस, 5.5 लाख, भेड़, बकरी तथा 1 लाख ऊंटों का बीमा किया जाना प्रस्तावित है। बीमा एक वर्ष के लिए होगा और पशुपालक को कोई प्रीमियम नहीं देना होगा। योजना के तहत किसी भी प्राकृतिक या आकस्मिक दुर्घटना में पशु की मौत होने पर बीमा क्लेम मिलेगा। योजना का क्रियान्वयन एसआईपीएफ राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग से किया जाना है।
जिसमें बीमा के लिए पशु का मूल्य निर्धारण दुधारु पशु गाय व भैंस के लिए अधिकतम 40 हजार रुपए, बकरी व भेड़ मादा के लिए अधिकतम 4 हजार रुपए और ऊंट नर व मादा के लिए अधिकतम 40 हजार रुपए तय किया गया है।
——– मंगला पशु बीमा योजना में ज्यादा से ज्यादा पशुओं का बीमा हो इसके लिए विभाग इस योजना का प्रचार प्रसार कर रहा है। पूरे प्रयास है कि लक्ष्य के अनुरुप पंजीयन हो। अभी हम अन्य जिलों से बेहतर िस्थति में हैं और टॉप 10 में शामिल हो चुके हैं। 31 जनवरी तक पंजीयन और बढ़ जाएंगे। ऊंटों का बीमा कम हो रहा है।
मुरारीलाल मीणा, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, अलवर।