बाजारों में जाम की समस्या लगातार बढ़ रही है। त्योहारी सीजन में बाजारों से पैदल निकलना मुश्किल होता है। आमजन को परेशानी होती है। नगर निगम व यूआईटी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया तो यातायात प्रबंधन योजना बनाई गई, जिसमें पार्किंग बनाने पर जोर दिया गया। शहर में पुरानी तहसील की खाली जमीन पर पार्किंग बनाने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया, तो यूआईटी ने इस जमीन पर फ्लैट व पार्किंग बनाने के लिए टेंडर निकाला, लेकिन किसी फर्म ने हिस्सा नहीं लिया। यूआईटी ने अब इस जमीन पर पार्किंग संचालन के लिए एनओसी नगर निगम को दी है।
पार्किंग के लिए दो होंगे गेट, किराया 10 से 30 रुपए तक संभव
रोड नंबर दो से दोपहिया व चारपहिया वाहनों का प्रवेश होगा और पीछे से वाहनों के निकलने की व्यवस्था होगी। करीब 300 दोपहिया वाहन खड़े किए जा सकेंगे। बाकी 150 चारपहिया वाहनों के खड़े होने की व्यवस्था होगी। पार्किंग शुल्क तय होना अभी बाकी है। माना जा रहा है कि दोपहिया वाहन संचालकों से 10 रुपए व कार संचालकों से 30 रुपए तक लिए जा सकते हैं।
बेशकीमती जमीन को सस्ते में लेना चाहते थे भूमाफिया
यूआईटी ने दो बार पहले भी पुरानी तहसील की करीब 4 बीघा जमीन पर फ्लैट बनाने व पार्किंग संचालन के लिए टेंडर लगाए थे, लेकिन किसी फर्म ने हिस्सा नहीं लिया था। यह कीमती जमीन है, लेकिन नीलामी में कोई शामिल नहीं हुआ। बताते हैं कि कुछ भूमाफिया इस जमीन को सस्ते दामों में लेना चाहते थे, इसलिए आवेदन नहीं किए। उन्हें उम्मीद थी कि यूआईटी दरें कम करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तक ये व्यवस्था
बाजार में वाहनों के खड़ा करने के लिए तांगा स्टैंड पर पार्किंग बनाई गई है। यहां करीब 60 से 70 वाहन ही पार्क हो पाते हैं। न्यू तेज टॉकीज पार्किंग बड़ी हैं। यहां 150 से ज्यादा वाहनों के खड़े होने की व्यवस्था है। इसका संचालन हो रहा है। हालांकि दरें ज्याद पार्किंग भी फ्लॉप हो रही थी। अब दरें कम की गई हैं।
प्रगति कॉम्प्लेक्स की खाली जमीन पर अवैध रूप से पार्किंग चल रही है। यहां से यूआईटी दो से तीन माह में दुकानें-मकान बनाएगी, तो ऐसे में यह वाहन सड़क पर न आएं, इसके लिए पुरानी तहसील की जमीन पार्किंग के रूप में काम आएगी।
पुरानी तहसील की जमीन पर पार्किंग संचालन के लिए टेंडर कर दिया है, जो इसी माह में खुलेगा। जल्द ही पार्किंग का संचालन करेंगे। इस पार्किंग के संचालन से बाजार का जाम काफी हद तक कम होगा।- जीतेंद्र नरूका, आयुक्त, नगर निगम