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हाजीपुर ढढीकर – सूखे से हरियाली तक पानी के संरक्षण का अनुपम उदाहरण

अलवर. हाजीपुर ढढीकर ग्राम पंचायत कुछ वर्ष पूर्व तक पूरी तरह सूखे की मार से त्रस्त थी आज पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है। लेकिन अब यहां स्थानीय लोगों व प्रशासन के प्रयासों से हरियाली छाई हुई हैं।

अलवरJun 05, 2025 / 05:24 pm

Jyoti Sharma

पानी सूख गया तो कुएं और बोरिंग भी हो खत्म, एनीकट बने तो हरा भरा हो गया गांव

.अलवर. हाजीपुर ढढीकर ग्राम पंचायत कुछ वर्ष पूर्व तक पूरी तरह सूखे की मार से त्रस्त थी आज पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है। लेकिन अब यहां स्थानीय लोगों व प्रशासन के प्रयासों से हरियाली छाई हुई हैं।
हाजीपुर ढढीकर ग्राम पंचायत अलवर मुख्यालय से मात्र 12 किमी दूर ही स्थित है। जिसमें दो राजस्व ग्राम हाजीपुर और ढढीकर और कुछ छोटी छोटी ढाणी भी हैंद्ध पूरी पंचायत में करीब 2000 परिवार जिनकी 10000 के आसपास है ज़्यादातर लोग कृषि और पशुपालन पर ही निर्भर हैं।
कम बरसात होने के कारण 2018 तक पूरी ग्राम पंचायत में पानी बीत चुका था कुओं और बोरिंग में पशुओं को भी पीने को पानी नहीं बचा था,खेती तो दूर की बात थी। खेती को छोडकर यहाँ के लोग मजदूरी करने जाने लगे थे या फिर बरसाती फसल बाजरा और बिना पानी के सरसों की फसल करके मुट्ठी भर पैदा करके गुजारा कर रहे थे। ज़्यादातर जमीन पानी की कमी की वजह से बंजर हो गई थी। पूरी पंचायत पहाड़ियों से घिरी हुई है इसलिए जो भी बरसात होती तो पानी बहकर निकल जाता था | 2019 में सहगल फ़ाउंडेशन ने ग्रामीणों की समझाइस करके एक एनिकट का निर्माण कराया तो पहली ही बरसात में एनिकट पानी से लवालव भर गया और परिणाम यह हुआ कि आस पास के कूए जो वर्षों से सूखे पड़े थी उनमें पानी आ गया। इस क्षेत्र के लगभग 60 परिवारों को वर्ष भर खेती के लिए पानी मिल गया यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
अब यहां के ग्रामीणों ने अनेक गैर सरकारी संस्थाओं के साथ एनिकट एवं जोहड़ निर्माण पर ज़ोर दिया तो अगले एक वर्ष में पूरे इलाके में सेकड़ों पानी के स्ट्रेक्चर बन गए । राजीव गाँधी जल संचयन योजना से 32 एवं फॉरेस्ट की ओर से भी 3 बड़े एनिकट और जोहड़ बनाए गए। पी एच डी फ़ाउंडेशन की ओर से भी यहाँ अनेक एनिकट बनाए गए। पूरे वर्ष भर डाउन स्ट्रीम में एनीकट बनाने का सिलसिला चल निकला तो परिणाम यह रहा कि गाँव के सभी कुओं में पानी का लेवल बढ़ गया और फसल होना शुरू हो गई। आज इस क्षेत्र में मुख्य रूप से अगस्त के महीने में प्याज की खेती की जाती है और उसके बाद उन्हीं खेतों में गेंहु की फसल ली जाती है। जिसमें सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। अस परिवर्तन से इलाके में खुशहाली भी आई है । किसानों की आय भी बढ़ी है।
इंजीनियर राजेश लवानिया ने बतायाकि सहगल फ़ाउंडेशन की ओर से पहला एनिकट 2019 में बनाया था तो मैं कई बार साइट पर गया था अन्य एनिकट या जोहड़ भी यहाँ अन्य संस्थाओं ने बनाए है जिनका फायदा सभी ग्रामीणों को मिला है अब यहाँ इन स्टेक्चर की मरम्मत होना और डीसिल्टिंग होना भी जरूरी है समय समय पर इस तरह के कार्य होते रहे तो ज्यादा पानी जमीन में रीचार्ज होगा और ज्यादा समय तक ग्रामीणों को फायदा मिलेगा।

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