चौमू गांव मुख्यालय के मुख्य सड़क मार्ग पर सिंचाई का ट्यूबवेल खराब होने के बाद अब मजबूर होकर पानी के टैंकर मांगने पड़ रहे हैं। जहां एक बीघा में करीब 3000 का खर्चा आ रहा है। किसान सुरेंद्र, नरेंद्र, जगराम आदि ने बताया कि अभी सिंचाई नहीं होगी तो फिर सर्दी से पूरी फसल नष्ट हो जाएगी। इसलिए मजबूरी में टैंकर मंगा कर सिंचाई कर रहे हैं। इसी गांव के राकेश सिंह, बच्चू सिंह, मूलसिंह, सरदारसिंह, भगवान सिंह, राधाकृष्ण गुर्जर का कहना है कि पीने के पानी का ही संकट बना हुआ है। ऐसे में रबी की फसल में अधिकतर सरसों की बुवाई की गई है।
इस बार लगातार बारिश के कारण सरसों की बुवाई तो हो गई, लेकिन अब सिंचाई में संकट हो गया। पड़ोस वाले किसान जिसके पास ट्यूबवेल में पानी है, उससे 200 रुपए प्रति घंटा के हिसाब से सिंचाई कर रहे हैं। खेती मानसून का जुआ है। भविष्य में कितनी पैदा होगी या क्या भाव रहेगा। इसका कोई अंदाजा नहीं है। फिर भी परिवार के पालन पोषण व आर्थिक उत्थान के लिए की जा रही खेती अब घाटे का सौदा साबित होने लगी है।