अब जगह-जगह अतिक्रमण क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि संरक्षण के अभाव में रूपारेल नदी से जयसमंद बांध के बीच बहने वाली नहर में जगह-जगह अतिक्रमण कर लोगों ने जयसमंद बांध का गला घोट दिया। अब यह प्यासा रह जाता है। ज्यादा पानी रूपारेल के दूसरे बहाव क्षेत्र में चला जा रहा है। रूपारेल नदी के पश्चिम क्षेत्र में खातेदारी की भूमि वालों ने अतिक्रमण कर नदी को सिकुड़़ा दिया। इससे जयसमंद में कम पानी पहुंचता है। मानसून से पहले रूपारेल नदी के पश्चिम क्षेत्र का अतिक्रमण, सिलीसेड के बहाव से अतिक्रमण हटाया जाएं तो जयसमंद बांध फिर से जीवित हो सकता है। इसके लिए सिंचाई विभाग, प्रशासन, पंचायतीराज विभाग को सामूहिक रूप से साझा प्रयास करना जरूरी है। रूपारेल में पानी भी आया, लेकिन जयसमंद बांध अभी भी प्यास से दम तोड़ते हुए सूखा पड़ा है। कुएं बांध, बावड़ी, तालाबों का संरक्षण नहीं होने से अब पानी का संकट तेजी से बढ़ रहा है।जिम्मेदार दे ध्यानलोगों की मांग है कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राज्य वन मंत्री संजय शर्मा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली अलवर जिले से सांसद, विधायक हैं। इनके अलावा जिला प्रमुख, प्रधान, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि, प्रबुद्धजन को आगे जाकर रूपारेल नदी, जयसमंद बांध, विजय सागर बांध की नहर का अतिक्रमण हटाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे इन पुराने जल स्रोतों में बारिश का जल संग्रहण हो सके। इस संबंध में संबंधितों से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो पाई।