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बढ़ने लगा मोटे अनाज का क्रेज… इमन्युटी बढ़ाने के साथ ही इन बीमारियों से मिल रहा छुटकारा 

आधुनिकता की दौड़ में जहां नई पीढ़ी के बच्चे मोटे अनाज से दूरी बना रहे थे, वहीं अब ये स्वादिष्ट व्यंजन उन्हें फिर से पसंद आने लगे हैं। इससे न केवल पोषण में वृद्धि हुई है, बल्कि मोटापा, डायबिटीज और अन्य बीमारियों से भी बचाव हो रहा है।

अलवरFeb 04, 2025 / 12:32 pm

Rajendra Banjara

आधुनिकता की दौड़ में जहां नई पीढ़ी के बच्चे मोटे अनाज से दूरी बना रहे थे, वहीं अब ये स्वादिष्ट व्यंजन उन्हें फिर से पसंद आने लगे हैं। इससे न केवल पोषण में वृद्धि हुई है, बल्कि मोटापा, डायबिटीज और अन्य बीमारियों से भी बचाव हो रहा है।
अब मोटे अनाज यानि ज्वार, बाजरा, रागी आदि से बने उत्पाद रसोई के मेन्यू में शामिल हो रहे हैं। अलवर, बानसूर व थानागाजी में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मोटे अनाज के उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रही हैं। इनके उत्पाद देश-विदेश में निर्यात भी हो रहे हैं। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं।

बाजरे के बिस्कुट, नमकीन, लड्डू, पापड़, दलिया की मांग

बानसूर के युवा जागृति संस्थान ने मोटे अनाज को फिर से भोजन का अहम हिस्सा बनाने और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। नाबार्ड की ओर से गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए संस्थान ने प्रशिक्षण दिया। इन महिलाओं ने बाजरे से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने की कला सीखी, जिनमें बाजरे के बिस्कुट, नमकीन, लड्डू, पापड़, दलिया और अन्य स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

युवा जागृति संस्थान के सीईओ डॉ. गोकुल सैनी ने बताया कि वर्ष 2023 को ’मिलेट्स ईयर’ घोषित किए जाने के बाद संस्थान ने मोटे अनाज के उत्पादों की संभावनाओं को पहचाना और नाबार्ड के सहयोग से समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया। आज ये महिलाएं स्वयं का रोजगार स्थापित कर चुकी हैं और एग्जीबिशन व समारोहों में स्टॉल लगाकर अच्छी आमदनी कमा रही हैं।

ऑनलाइन बिक्री से बढ़ा बाजार

इनके उत्पाद ऑनलाइन माध्यम से पूरी दुनिया में बिक रहे हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया के जरिए भी इन उत्पादों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। अभी तक इनको आठ लाख रुपए की आय हो चुकी है।

थानागाजी की महिलाएं भी बना रहीं उत्पाद

नाबार्ड के सहयोग से थानागाजी ब्लॉक में स्वीकृत उदयनाथ किसान उत्पाद संगठन की महिलाएं भी मोटे अनाज के उत्पाद तैयार कर रही हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाजरे के बिस्किट, नमकीन, लड्डू, कुकीज, सूप आदि स्वास्थ्य वर्धक खाद्य पदार्थ तैयार कर रही हैं। कृषक उत्पादक संघ की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर अंजू सैनी ने बताया कि पहले इन्हें प्रशिक्षण दिया गया, इसके बाद ये काम कर रही हैं।

दुर्गा स्वयं सहायता समूह कटोरीवाला के उड़ान महिला मंच की महिलाएं मोटे अनाज से खाने के आइटम बना रही हैं। खासतौर से बाजरे व रागी, किनोवा और काले गेहूं के बिस्किट व केक जैसे उत्पाद शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हो रहे हैं। स्पेक्ट्रा संस्था के उड़ान महिला मंच की महिलाओं ने मोटे अनाज से बने बिस्किट, केक और लड्डू जैसे उत्पादों को आधुनिक और पौष्टिक स्वरूप में पेश किया है, जो स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वाद के लिए भी बेहतरीन हैं। दुर्गा स्वयं सहायता समूह में 10 महिलाएं मिलकर इस कार्य को कर रही हैं।

इन्हें हर महीने 30 हजार रुपए तक की आय हो रही है। स्पेक्ट्रा संस्था के संचालक प्रदीप पुंडीर बताते हैं कि मोटे अनाज के इन उत्पादों की विशेषता यह है कि ये न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि आयुर्वेदिक गुणों से भी भरपूर होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बाजरा वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। यह फाइबर, प्रोटीन, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। ठंड के मौसम में इनका सेवन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में भी मदद करता है।

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