विद्यालय के शारीरिक शिक्षक चन्द्रमोहन ने बताया कि उमरैणब्लाँक का यह स्कूल दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण किसी भी तरह के खेल को खेलने का माहौल बच्चों में नहीं था। विद्यालय में खेल मैदान तो था, लेकिन पहाड़ की तलहटी में होने के कारण उबड-खाबड और पथरीला था, जिसमें कंटीली झाडियां उग रही थी, जिसे खेलने योग्य बनाया गया। खेल मैदान को सही करने का कार्य शुरू किया।
इसमें ग्रामीणों का भी सहयोग मिला। कुछ दिनों में हैंडबाॅल का मैदान तैयार हो गया। इसके बाद रोजाना बच्चों ने यहां अभ्यास शुरू किया। जिसमें 30 से 35 बच्चे भाग लिया। बच्चों को हैडबाँल के गुर सिखाए गए। साथ ही छुट्टी के दिन भी बच्चों को खेल का अभ्यास कराया गया। इस मेहनत की उपलब्धि यह रही कि पहले ही वर्ष की मेहनत में 2 छात्र अंडर 14 वर्ष और 2 छात्र अंडर 17 वर्ष का चयन हैंडबॉल में राज्य स्तर पर खेलने के लिए हुआ।
साथ ही जिला हैडबाॅल संघ की खेलकूद प्रतियोगिता में विद्यालय का तृतीय स्थान रहा। जिसका आयोजन अलवर स्टेडियम में हुआ था। शारीरिक शिक्षक छुट्टियों के दिन भी बच्चों को प्रेक्टिस कराते हैं और बाहर के कोच बुलाकर बच्चों को प्रशिक्षण दिलाते हैं। प्रधानाचार्य वंदना यादव का कहना है कि शारीरिक शिक्षक चन्द्रमोहन के आने पर बच्चों में खेलों के प्रति रुचि बढ़ी है। उनका लक्ष्य है कि वो बच्चों को मोबाइल और नशे की लत से दूर रखे। खेल कोटे से उन्हें सरकारी नौकरी के लिए पात्र बना सके।