महासभा आजप्रेम पटेल, महेश सैनी, निहाल गुर्जर, भूपत सिंह बालियान, बाबूलाल आदि ने चेताया कि सिलीसेढ़ क्षेत्र में बोरिंग नहीं लगने देंगे। दो जून को सिलीसेढ़ तिराहे पर बड़ी महासभा का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए झील बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति की ओर से गांव-गांव जाकर पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं। ग्रामीणों से महासभा में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने के लिए आव्हान किया जा रहा है। महासभा के दौरान आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
अलवर में पानी ले जाने का विरोध भी और समर्भन भीएक तरफ आसपास क्षेत्र के ग्रामीण बोर नहीं लगवाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं तो कुछ गांवों के लोग खुलकर बोरिंग खुदाई करने के समर्थन कर रहे हैं। सिलीसेढ़ क्षेत्र के आसपास के गांवों में रविवार को संघर्ष समिति की ओर से गांवों में जाकर ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग के पोस्टर लगाए, वहीं सिलीसेढ झील के आसपास के कुछ गांवों के लोगों ने बोरिंग लगाने को सही ठहराते हुए सरकार का समर्थन किया। अलवर में जाकर वन मंत्री संजय शर्मा और भूपेंद्र यादव दोनों मंत्रियों से भी मिले। जिसमें रिगसपुरी, डोबा, किशनपुर और सोदानपुरा के ग्रामीणों ने सरकार का समर्थन करते हुए बोरिंगों से अलवर शहर में पानी ले जाने को सही ठहराया और बोरिंग खुदाई के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और वन मंत्री संजय शर्मा को सिलीसेढ़ क्षेत्र में बोरिंग लगवाने के लिए ज्ञापन दिया। ग्रामीण शिवलाल, घनश्याम सहित अन्यों का कहना है कि चार गांवों के लोग केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और वन मंत्री संजय शर्मा से मिले हैं और लिखित में ज्ञापन दिया गया। सरकार का हम ग्रामीण मिलकर समर्थन देने की बात कही। प्रवक्ता भवेंद्र पटेल ने बताया कि झील के पानी से पहले अलवर शहर के बागों में सिंचाई होती थी। पीने के योग्य यह पानी नहीं था। पहले से ही सिलीसेढ़ झील से अलवर शहर में पानी जाता था और अब पानी की अलवर शहर में समस्या है तो लोगों को वहां पानी देना चाहिए। इसके लिए अगर ट्यूबवेल सिलीसेढ़ क्षेत्र में लगाई जा रही तो सही है। उनका कहना था कि वे बोर खुदाई का समर्थन करते हैं।
……………….मुकदमें लें वापस भवेंद्र पटेल ने बताया कि जलदाय विभाग ने मनगढ़ंत मुकदमा 8 लोगों के खिलाफ दर्ज कराया है। उसे वापस नहीं किया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा। बारिश का जल संग्रहण नहीं होने तथा सही योजना नहीं बनने के कारण जयसमंद बांध, विजय मंदिर बांध, प्रेम रत्नाकर बांध, प्रताप बंध, सूखकर बर्बाद हो रहे हैं। इनको जल संग्रहण कर जीवित किया जाए तो अलवर शहर का पानी संकट समाप्त हो सकता है।