तिगरी घाट पर बहीं झोपड़ियां और तख्त
गंगा के बढ़ते पानी ने तिगरी घाट पर अफरा-तफरी मचा दी। झोपड़ियों के साथ-साथ तख्त और ठेले भी बहते नजर आए। स्थानीय लोगों ने काफी प्रयास किया, लेकिन कई झोपड़ियों को नहीं बचाया जा सका। घाट किनारे रहने वाले पुरोहितों में डर और चिंता का माहौल है। पुरोहित पंडित दिनेश कुमार शर्मा ने बताया, “सुबह से ही पानी बढ़ रहा था, लेकिन शाम को हालात बेकाबू हो गए। हरिद्वार से छोड़े गए पानी का असर तिगरी घाट पर साफ दिखा। प्रशासन के लोग आए जरूर, लेकिन सिर्फ अलर्ट देकर चले गए।”
50 गांवों पर मंडरा रहा खतरा
गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि के चलते हसनपुर और धनौरा तहसील के लगभग 50 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इन गांवों में हर साल बाढ़ की स्थिति बनती है। खेतों में 3 से 4 फीट तक पानी भर जाता है और सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं, जिससे ग्रामीणों को लंबी अवधि तक आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
प्रशासन का दावा- हालात नियंत्रण में
बाढ़ खंड मुरादाबाद के अधिकारी सुभाष कुमार ने बताया कि, “फिलहाल गंगा में न्यूनतम जलस्तर बढ़ा है, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यदि बिजनौर बैराज से एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया, तो खतरा और बढ़ सकता है। हम लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और तिगरी घाट पर कटाव रोकने के प्रयास जारी हैं।”
पुरोहितों और ग्रामीणों ने की राहत की मांग
तिगरी घाट पर रह रहे पुरोहितों और आसपास के ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल राहत और पुनर्वास की मांग की है। उनका कहना है कि बारिश अभी थमी नहीं है, और जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। अब तक की प्रमुख स्थिति
तिगरी घाट पर दर्जनों झोपड़ियां डूबीं, कुछ बह गईं, गंगा धाम में जलस्तर तेजी से बढ़ा, घाट जलमग्न, 50 गांवों को किया गया अलर्ट, खेतों और रास्तों में पानी भरने की आशंका, प्रशासन ने तिगरी पर बांध और कटाव रोकने के इंतजाम किए, ग्रामीणों और पुरोहितों ने जल्द राहत शिविर और सहायता की मांग की।