scriptमोहम्मद शमी के परिवार से होगी लाखों की वसूली, मनरेगा घोटाले में सामने आया है बहन-बहनोई का नाम | Lakhs of rupees will be recovered from Mohammed Shami's family, names of his sister and brother-in-law have surfaced in MNREGA scam | Patrika News
अमरोहा

मोहम्मद शमी के परिवार से होगी लाखों की वसूली, मनरेगा घोटाले में सामने आया है बहन-बहनोई का नाम

क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) में मजदूर के रूप में रजिस्टर्ड पाए गए हैं। इन सभी के खातों में मनरेगा के तहत तकरीबन 10 लाख रुपये की मजदूरी भेजी गई है।

अमरोहाMar 31, 2025 / 02:22 pm

Prateek Pandey

mohammad shami
मनरेगा घोटाले में मोहम्मद शमी के परिवार का नाम सामने आया है। प्रशासन की जांच में इस फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बाद अब रिकवरी और कानूनी कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए गए हैं।

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कैसे हुआ इस फर्जीवाड़े का खुलासा?

दरअसल मोहम्मद शमी की बहन शबीना की शादी पलौला गांव में रहने वाले गजनबी से हुई है। शबीना की सास गुले आयशा गांव की ग्राम प्रधान हैं। कुछ दिन पहले जानकारी सामने आई थी कि शमी की बहन, उनके पति और देवरों के नाम मनरेगा मजदूरों की सूची में दर्ज हैं और उनके बैंक खातों में इस योजना के तहत मजदूरी की रकम डाली गई है।
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किन-किन लोगों के खातों में आई मनरेगा की राशि?

जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने इस मामले की जांच के आदेश दिए, जिसके बाद पता चला कि ग्राम प्रधान के परिवार द्वारा मनरेगा योजना का गलत लाभ उठाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जांच में यह पाया गया कि प्रधान के परिवार के आठ सदस्यों ने मजदूरी के रूप में बड़ी रकम हासिल की। इसमें शामिल हैं शबीना के खाते में ₹71,013, गजनबी (शबीना के पति) के खाते में ₹66,561, शेखू (देवर) के खाते में ₹55,312, नसरुद्दीन के खाते में ₹71,704, नेहा (ननद) ₹55,867 के खाते में पैसे आए हैं। करीब 12 अन्य लोग भी इस घोटाले का हिस्सा रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जो विदेश में रहते हैं लेकिन उनके नाम पर भी मजदूरी की रकम जारी की गई है।

जिला प्रशासन ने तलब की रिपोर्ट

मामले के उजागर होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। रविवार को भी बीडीओ जोया और अन्य अधिकारी विकास भवन में रिकॉर्ड का मिलान करते रहे। जांच दल ने पलौला गांव में जाकर स्थानीय ग्रामीणों के बयान दर्ज किए हैं। अधिकारियों की मानें तो नोटिस जारी कर सभी से रकम की वसूली की जाएगी। इसके साथ ही घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
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कैसे और कब हुआ फर्जीवाड़ा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक जनवरी 2021 में प्रधान परिवार के लिए मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए थे। उस समय पंचायतों में प्रशासक की तैनाती थी जिसका फायदा उठाकर घोटाले को अंजाम दिया गया। लगभग तीन साल तक इन सभी के खातों में मजदूरी की राशि भेजी जाती रही।

2024 में खुला मामला

2024 में जब मामला सामने आया तो परिवार के कुछ सदस्यों के कार्ड निरस्त कर दिए गए लेकिन ग्राम प्रधान गुले आयशा की बेटियों (तीनों ननद) के कार्ड नहीं रद्द किए गए। मामला सुर्खियों में आया है तो उनके भी जॉब कार्ड निरस्त कर दिए गए हैं।

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