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अनूपपुर

एसडीआरएफ के 80 फीसदी कर्मचारी बंगलों व अन्य विभागों में संलग्न, 10 लोगों के जिम्मे आपदा प्रबंधन

मानसून सिर पर, दिशा-निर्देश और कागजों तक सिमटकर रह गई आपदा प्रबंधन की तैयारी

अनूपपुरJun 07, 2025 / 12:09 pm

Sandeep Tiwari

आगामी मानसून सत्र को देखते हुए कुछ दिनं पहले ही कलेक्टर हर्षल पंचोली ने आपदा प्रबंधन समिति की बैठक लेते हुए संबंधित विभाग को पूर्व से आपदा का आंकलन करते हुए इसकी तैयारी में जुटने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रहे एसडीआरएफ के पास स्टाफ ही नहीं। जो कर्मचारी पदस्थ हैं, उन्हें अन्य विभागों में कार्य के लिए संलग्न कर दिया गया है। टीम में सिर्फ 10 लोगों का स्टाफ है जिन पर जिले के आपदा प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी है। जिले में संचालित एसडीआरएफ के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट होमगार्ड कार्यालय में वर्तमान समय में 52 का स्टाफ है। जिनमें से 3 नायक और लांस नायक एवं 16 सैनिक कलेक्ट्रेट के विभिन्न विभागों में संलग्न किए गए हैं। इसी तरह दो नायक एवं लांस नायक तथा 19 सैनिक पुलिस विभाग में संलग्न किए गए हैं। यहां वर्तमान में दो नायक एवं लांस नायक तथा आठ सैनिक पदस्थ हैं। दो अवकाश पर हैं। ऐसे में आपदा की स्थिति से निपटने की तैयारी अभी तक सिर्फ कागजों में ही हो रही है। होमगार्ड सैनिक एवं अन्य स्टाफ परिवहन विभाग, यातायात विभाग, न्यायिक अधिकारियों के बंगले पर तथा अन्य विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में जरूरत पडऩे पर विभाग के पास स्टाफ ही नहीं रहेगा तो कैसे आपदा से संबंधित रेस्क्यू का कार्य हो पाएगा।

गोताखोर नहीं, जरूरी संसाधनों का भी अभाव

जिले के साथ ही पूरे संभाग में प्रशिक्षित गोताखोर नहीं हंै। ऐसे में आपदा की स्थिति में गोताखोर की आवश्यकता पडऩे पर जबलपुर से टीम बुलाने की मजबूरी बन जाती है। पूर्व में कई दुर्घटनाओं में यहां गोताखोरों के न होने के कारण कई दिनों तक उनके आने का इंतजार भी करना पड़ा है। इससे रेस्क्यू कार्य में देरी हुई। आपदा प्रबंधन को लेकर विभाग के पास कर्मचारियों की कमी के साथ ही कुछ संसाधनों का भी अभाव है जिसकी मांग विभाग ने वरिष्ठ कार्यालय से की है। जिला प्रशासन के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है।

बीते दो वर्षों में 10 स्थान पर हादसे, चलाना पड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन

बीते दो वर्षों में जिले में 10 स्थानों पर आपदा प्रबंधन के लिए एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू का कार्य किया। 18 फरवरी 2024 को धुरवासिन में रमेश सिंह की मौत हो गई थी। 15 जून 2024 को शंभूधारा अमरकंटक में नहाने के दौरान गजेंद्र पटेल की भी मौत हो गई। दोनों के शव निकालने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। 20 अगस्त 2024 को जैतहरी में हुई घटना के बाद शव निकाला गया। 25 अगस्त 2024 को जमुरी में पटपड़हा टोला में डूबने से दो लोगों की मौत के बाद मौके पर एसडीआरएफ की टीम पहुंची और शव बाहर निकाला गया। इसी तरह 30 सितंबर 2024 को ग्राम चरकुमार में वंश बहादुर की मौत हो गई थी। 19 अक्टूबर 2024 को कोतमा के ग्राम जोगी टोला में भी बांध में डूबने से तुलसी प्रसाद और कृष्ण पाल की मौत हो गई थी। 10 दिसंबर 2024 को राजेंद्र ग्राम थाना क्षेत्र में पानी में डूबने से पप्पी बाई की मौत हो गई थी। पुलिस चौकी फूनगा अंतर्गत ग्राम दैखल में 45 वर्षीय पूरन की नदी में डूबने से मौत हुई थी। 1 जनवरी 2025 को कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम दुधमनिया में भी पानी में डूबने से बृजेंद्र की मौत हो गई थी। इन सभी स्थानों पर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।
संसाधनों का अभाव और बल की कमी की जानकारी आपसे मिली है। इस संबंध में चर्चा करते हुए समस्या को दूर किया जाएगा। हर्षल पंचोली, कलेक्टर

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