चोरी गईं 8400 गोलियां, जांच अधर में लटकी और ताले में बंद हो गईं जवाबदेही!
Tablets Stolen Case : जिला अस्पताल की सीएमएचओ मीडिया से बचती नजर आईं। बाहर आते वक्त दोबारा वापस लौटीं र गेट में अंदर से ताला तक जड़वा दिया, ताकि कोई अंदर आकर सवाल न पूछ ले। हालांकि, डिलीवरी बॉय बेखौफ अंदर घूमते दिखे।
Tablets Stolen Case : मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिला अस्पताल में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए रखी गईं 8400 गोलियों की चोरी ने अब एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल ये है कि, क्या दवाएं गायब हुई हैं या गायब कराई गई हैं?
चार दिन पहले शुरू हुई जांच अभी तक अधूरी है। जबकि टीम को तीन दिन में रिपोर्ट सौंपनी थी। रविवार को जब मीडिया अस्पताल की स्थिति देखने पहुंचा तो सीएमएचओ डॉ.अलका त्रिवेदी पहले बाहर निकलते दिखीं, लेकिन जैसे ही कैमरे और रिपोर्टर नजर आए, वे तुरंत वापस लौट गईं। चौंकाने वाली बात ये रही कि, थोड़ी देर में एक कर्मचारी ने आकर चैनल गेट में ताला भी जड़ दिया, ताकि गलती से कोई मीडियाकर्मी अंदर आकर सवाल न कर ले।
जांच बंद कमरे में… लेकिन डिलीवरी बॉय अंदर?
चोरी गईं 8400 गोलियां (Photo Source- Patrika Input) इस बीच मीडिया और आमजन को अस्पताल के उस हिस्से में जाने से रोका जा रहा है, जहां जांच चल रही है। लेकिन, भारी बैग लेकर अंदर बेखौफ घूमते डिलीवरी बॉय दिखे। यहां एक सवाल ये और उठ रहा है कि, क्या चोरी हुई गोलियां इन्हीं बैगों में वापस लाई जा रही हैं? या ये कोई पर्दा डालने की कवायद है?
CMHO से संपर्क नहीं, चुप्पी के भी कई मतलब!
जब सीएमएचओ से इस जांच पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल अटेंड करना भी मुनासिब नहीं समझा। इस पूरे घटनाक्रम से ये साफ है कि, जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठना लाजमी है। अगर कुछ छिपाया नहीं जा रहा तो फिर जवाबदेही से भागने की जरूरत क्या है?
जनता का सवाल: क्या अपनों को बचाया जा रहा ?
स्थानीय नागरिकों में चर्चा है कि, इस चोरी में किसी बड़े अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता हो सकती है, जिसे बचाने के लिए ये ‘जांच’ महज औपचारिकता बन गई है। 8400 दवाओं की चोरी कोई मामूली बात नहीं और इससे जुड़ा हर रहस्य अब सवालों की शक्ल ले चुका है। अब जनता जानना चाहती है—दवाएं कहां हैं, और जवाबदेही किसकी है?
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