आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार अग्नि तत्व के ग्रह मंगल अभी शुष्क राशि सिंह में हैं और 28 जुलाई तक मंगल इसी राशि में भ्रमण करेंगे और केतु के साथ कुंज केतु योग बनाए हुए हैं। इसके प्रभाव से गर्मी अधिक पड़ने के साथ-साथ उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में मानसून के पहुंचने में देरी होने की आशंका है।
ज्योतिष में ऐसे मिलता है बारिश का संकेत
मौसम का आंकलन मेदिनी ज्योतिष के पद्धति से किया जाता है। इसके अनुसार सूर्य के मिथुन राशि में आर्द्रा नक्षत्र में पहुंचने के समय बनने वाली कुंडली से मानसून में बारिश का पूर्वानुमान किया जा सकता है। मेदिनी ज्योतिष के अनुसार सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के समय की कुंडली में चंद्रमा शुष्क राशि के लग्न में और अन्य महत्वपूर्ण ग्रह, मेष, मिथुन, सिंह, कन्या और धनु आदि शुष्क राशियों में हों तो वर्षा कम होती है। लेकिन यदि जलीय लग्न में चंद्रमा और अधिकतर ग्रह जलीय राशियों जैसे कर्क, वृश्चिक, मकर और मीन में हों तो अच्छी बारिश होती है। वहीं वृषभ, तुला और कुंभ में ग्रह रहते हैं तो मानसून सीजन में सामान्य वर्षा होती है।
साल 2025 में सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में गोचर के समय की मौसम की कुंडली में लग्न मिथुन है जिसमें सूर्य, बुध और गुरु विराजमान हैं। चंद्रमा शुष्क राशि मेष में, शुक्र के साथ है। अग्नि तत्व के ग्रह मंगल शुष्क ग्रह केतु के साथ सिंह में वर्षा में कुछ बाधा बन रहे हैं। जबकि नवमांश कुंडली में जलीय राशि मीन लग्न में उदय हो रही है जो की कुछ अच्छा संकेत है। इसके अलावा जलीय ग्रहों गुरु और बुध का लग्न में होना भी शुभ संकेत है।
इस आधार पर आर्द्रा प्रवेश के समय की मानसून की कुंडली की ग्रहीय स्थिति और मेदिनी ज्योतिष के नियमों से पूरे देश में बारिश का आंकलन करें तो जून से सितंबर के बीच यह सामान्य से कुछ कम तकरीबन 90 से 95% तक हो सकती है, जो कि सामान्य से कम होगी। हालांकि मौसम विभाग 2025 मानसून सीजन में पिछले साल के मुकाबले 106% बारिश का पूर्वानुमान लगा रहा है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य 22 जून को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद मानसून सीजन 2025 शुरू हो जाएगा। लेकिन इस मानसून सीजन में कहीं कम तो कहीं अधिक बारिश के संकेत हैं। इस समय की ग्रहीय स्थितियों के कारण 15 जुलाई तक के समय में आंध्र प्रदेश और ओडिशा में समुद्री तूफान का खतरा रहेगा।
इसके अलावा वक्री शनि और कुंज केतु योग के प्रभाव से उत्तराखंड और हिमाचल में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं घट सकती हैं। 28 जुलाई तक मंगल के सिंह राशि में गोचर तक सौराष्ट्र और मराठवाड़ा में कम वर्षा होगी। वहीं 28 जुलाई से 13 सितंबर के बीच मंगल जब कन्या राशि में गोचर करेंगे तो कर्नाटक समेत दक्षिण भारत में बारिश होगी पर यह खेतों की प्यास बुझाने के लिए शायद पर्याप्त न हो।
पूर्वी यूपी, मध्य भारत में इस समय होगी जोरदार बारिश
27 जून को चंद्रमा के पुष्य नक्षत्र में बुध के साथ युति करने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में अच्छी वर्षा हो सकती है। 2 जुलाई को चंद्रमा के हस्त नक्षत्र में आने के बाद दिल्ली-एनसीआर में कुछ स्थानों पर वर्षा हो सकती है। 5 जुलाई को चंद्रमा के स्वाति नक्षत्र में और फिर 7 जुलाई को चंद्रमा के अनुराधा नक्षत्र में होने के समय भी दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अच्छी वर्षा हो सकती है। 10 जुलाई को चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा में होगा और फिर 12 जुलाई को श्रवण नक्षत्र में आकर राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में जोरदार बारिश होगी। 16 जुलाई को सूर्य के कर्क राशि में आने के बाद मानसून देश के बड़े हिस्से में बारिश होगी।
डिस्क्लेमरः यह खबर ज्योतिषाचार्य के मतों के आधार पर लिखी गई है। इसके आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले अपने ज्योतिषी से भी इस बारे में चर्चा करना ज्यादा हितकर होगा।