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बालाघाट

धरोहरों और विरासतों से कंगाल हो रहा बालाघाट जिला

अब राजीव सागर बांध कार्यपालन यंत्री कार्यालय का छतरपुर स्थानांतरण की सुगबुगाहट

बालाघाटMar 31, 2025 / 08:52 pm

mukesh yadav

अब राजीव सागर बांध कार्यपालन यंत्री कार्यालय का छतरपुर स्थानांतरण की सुगबुगाहट

अब राजीव सागर बांध कार्यपालन यंत्री कार्यालय का छतरपुर स्थानांतरण की सुगबुगाहट

मेडिकल, इंजीनियरिंग और लॉ कॉलेज का सपना देख रहे जिलेवासियों के लिए एक और बुरी खबर सामने आई है। रेंजर कॉलेज और मप्र बीज निगम के विस्थापन की प्रक्रिया पहले से ही प्रचलित है। अब राजीव सागर बांध कार्यपालन यंत्री कार्यालय को भी छतरपुर स्थानांतरण किए की तैयारी शुरू कर दी गई। इस आशय का आदेश भी जल संसाधन मुख्य विभाग से प्राप्त हुआ है।
खबर लगने पर क्षेत्रीय किसानों में आक्रोश है। शहर की पहचान को यथावत रखे जाने की मांग को लेकर पूर्व में एकजुट हुए गणमान्यों ने भी नाराजगी जाहिर की है। इनका मानना है कि जिले की जिले की पहचान और उपलब्धियां किसी गहरी साजिस का शिकार हो रही हैं। तभी तो रेंजर कालेज, धान बीज निगम के विस्थापन की खबरों के बीच कटंगी क्षेत्र में स्थित राजीव सागर बांध परियोजना के कार्यपालन यंत्री कार्यालय का भी बाहर राज्यों में विस्थापन किया जा रहा है। इसी तरह से चलता रहा तो बालाघाट जिला धरोहरों और विरासतों से मामले में कंगाल हो जाएगा।

दो राज्यों की परियोजना

जानकारी के अनुसार बावनथड़ी नदी पर निर्मित राजीव सागर (बावनथड़ी डेम) वृहद परियोजना मप्र एवं महाराष्ट्र की अंतर राज्यीय परियोजना है। परियोजना का निर्माण बालाघाट जिले की कटंगी तहसील के ग्राम कुड़वा एवं महाराष्ट्र के भंडारा जिले की तहसील तुमसर के समीप बावनथड़ी पर किया गया है। इस बांध में 6 गेट लगे हुए हंै। बांध की जल भराव क्षमता 344.40 मीटर है। बांध 6 किलोमीटर, 420 मीटर लंबाई का बनाया गया है। इसके कार्यपालन यंत्री कार्यालय का विस्थापन किए जाने की चर्चाएं है।

1907 में हुई थी स्थापना

बालाघाट में रेंजर कॉलेज की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1907 में की गई थी। अपार वानिकी संपदा से भरपूर जिले में 1979 से रेंजरों को प्रशिक्षण दिया जाता रहा है। 2014 के बाद से यहां पर प्रशिक्षण दिया जाना बंद कर दिया गया। इस अंतिम बैच के बाद से अब तक यह रेंजर कॉलेज स्वयं के अस्तित्व को बचाए रखने की जद्दोजहद करता नजर आ रहा है। इस कॉलेज के बंद होने का मुख्य कारण स्टाफ की कमी बताया जाता है। साथ ही जिले में आवागमन की समस्या का हवाला देते हुए स्टाफ के यहां आने से कतराने की बातें सामने आती हैं।

प्रदेश में जाना जाता है नाम

राज्य बीज निगम का कार्यालय भी बालाघाट जिले के नाम को प्रदेश में पहचान दिलाते आया है। प्रदेश के सभी जिले में बालाघाट ही ऐसा जिला है, जहां मप्र राज्य बीज निगम का कार्यालय स्थापित है। यहीं से अन्य जिलों की कार्यालयीन प्रक्रिया पूर्ण की जाती रही है। इस कार्यालय के दक्षिण भारत में जाने की कवायदें होने की जानकारी है। ऐसे में जिले की इस पहचान और धरोहर भी जिला अछूता रह जाएगा।

विस तक किया जा चुका विरोध

प्रदेश की विधानसभा सत्र के दौरान खासकर रेंजर कॉलेज को यथावत रखे जाने की मांग की जा चुकी है। बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे के अलावा, वारासिवनी विधायक विवेक पटले और परसवाड़ा विधायक मधु भगत भी रेंजर कॉलेज के साथ ही बीज निगम को यथावत जिले में रखे जाने की मांग कर चुके हैं। हालाकि इनकी मांग का कितना असर व सुनवाई हुई। यह सामने नहीं आ पाया है।

किसानों को होगी परेशानी

स्थानीय लोगों की माने तो राजीव सागर परियोजना कार्यालय के छतरपुर जाने से सिंचाई, नहरो की देखभाल, मरम्मतिकरण सहित अन्य कार्यप्रणाली के लिए असमंजस की स्थिति बन जाएगी। छतरपुर से समस्त विभागीय प्रक्रिया और किसानों की मांग, समस्याओं का निराकरण करना दूर की कौड़ी साबित होगी। इसलिए उक्त कार्यालय को कटंगी में ही यथावत रखकर इसका बेहतर संचालन किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
बाक्स
पुरातत्व विद डॉ वीरेन्द्र सिंह गहरवार के अनुसार जिले के इतिहास पर नजर दौड़ाए तो सामने आता है कि पुरातन से लेकर अब तक के समय में हमें स्वतंत्र भारत से ज्यादा कुछ नहीं मिला है। समय बीतता गया और विकास के वादे कागजों तक रह गए। इसलिए आज हमारा जिला वन और खनिज सम्पदा होने के बाद भी पिछड़ों के सूची में अव्वल होने को आमदा है। इसके बावजूद रेंजर कॉलेज, बीज निगम और महत्वपूर्ण राजीव सागर बांध परियोजना कार्यालय का विस्थापन जिले की उपेक्षा की ओर इंगित कर रहा है।
वर्सन
रेंजर कॉलेज को जिले में यथावत रखे जाने की मांग को लेकर जिला स्तर पर ज्ञापन, प्रदर्शन के अलावा हमनें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के संज्ञान में मामले को लाया है। उनकी केन्द्र वन पर्यावरण मंत्री से चर्चा हुई है। इसके राहत भरे परिणाम सामने आने वाले हैं।
अनुप सिंह बैस, कांग्रेस प्रवक्ता
जिले से राजीव सागर, रेंजर कॉलेज और बीज निगम का बाहर विस्थापन को लेकर अब तक गांधीवादी विचारधारा के अनुरूप प्रयास किए गए हैं। इसके बाद भी शासन प्रशासन नहीं जागते हैं तो भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी आंदोलन करने हम तैयार है।
विशाल बिसेन, समाजसेवी
हमें भी जानकारी लगी है। सिर्फ ईई के कार्यालय का स्थानांतरण की चर्चा है। लेकिन परियोजना का मैदानी अमला, एसडीओ, सहायक यंत्री यहीं रहेंगे। हालाकि मामले को लेकर हम प्रदेश स्तर पर चर्चा कर रहे हैं। क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो ऐसे प्रयास किए जाएंगे।
गौरव सिंह पारधी, कटंगी विधायक

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