लंबी कानूनी प्रक्रिया और 8 साल की जेल के बाद वे बालाघाट के तिरोड़ी में ही बस गए। उनका नाम राजबहादुर वांग हो गया। उन्होंने यहीं शादी की और घर बसा लिया।
पहलगाम हमले के कुछ दिन बाद आया वीजा खत्म होने का मैसेज
पहलगाम हमले के कुछ दिन बाद 4 मई को उनके बेटे विष्णु के मोबाइल पर पिता वांग ची का वीजा खत्म होने का मैसेज आया। अब पिता के निर्वासन को लेकर पूरा परिवार चिंतित है। वांग के पुत्र विष्णु ने बताया, छह-छह माह पर वीजा एक्सटेंशन कराने में 12 से 15 हजार का खर्च आता है, इसलिए आवेदन नहीं किया। इसके पूर्व पिता बिना वीजा पासपोर्ट के 55 साल रहे पर कोई समस्या नहीं आई। वर्ष 2017 में जब हमलोग चीन से होकर आए हैं तब से यह समस्या आई है।
प्रमाण पत्र नहीं बना
वांग ची को 2013 में चीन का पासपोर्ट जारी हुआ था। 2017 में 55 साल बाद वे पूरे परिवार के साथ चीन गए थे। विष्णु कहते हैं, मैं भारतीय नागरिक हूं। मेरे बच्चे भी भारतीय हैं। पर मेरा जन्म प्रमाण पत्र तक नहीं बना। मां आदिवासी महिला थी, पर हमको जाति प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा। सभी जगह आवेदन दिए लेकिन कोई हल नहीं निकला।
तिरोड़ी में एक और चीनी सैनिक की हो चुकी मौत
दिल्ली की जेल में वांग ची की मुलाकात अन्य चीनी सैनिक थुसूयु योंग से हुई। सजा काटने के बाद दोनों बालाघाट के तिरोड़ी में बस गए। 2018 में थुसूयु योंग का निधन हो गया। उनके दो बेटे व दो बेटी है।
नहीं भूले देश और परिवार
वांग ने 1974 में तिरोड़ी निवासी सुशीला बाई से शादी की। उनके दो बेटे विष्णु और श्याम तथा दो बेटियां अनीता और आशा हैं। पत्नी सुशीला और बड़े पुत्र की मौत हो चुकी है। पुत्र विष्णु का कहना है, पिता वांग देश और परिवार को अब भी नहीं भूले हैं।
किसी को यहां से भेजने के निर्देश नहीं
वीजा एक्सपायर होना एक सामान्य प्रक्रिया है। थाना स्तर से ही पुलिस अप्लाई करवाकर एक्सटेंशन करवा देती है। ऐसे में किसी को यहां से भेजने का कोई निर्देश नहीं है।