इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक यह मिशन मई अंत या जून के पहले पखवाड़े में लांच करने की योजना है। दोनों अंतरिक्ष एजेंसियां प्रक्षेपण की संभावित तिथियों की समीक्षा कर रही हैं। उपग्रह के श्रीहरिकोटा पहुंचने के बाद भी कुछ परीक्षण किए जाने हैं। नासा ने अपनी वेबसाइट पर एक अपडेट में कहा कि इसरो उपग्रह एकीकरण और परीक्षण केंद्र में निसार उपग्रह के तमाम परीक्षण पूरे कर लिए गए हैं। इसे श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल पर ले जाने की तैयारी चल रही है। नासा ने कहा कि मिशन की प्रक्षेपण तिथि आने वाले हफ्तों में दोनों एजेंसियां मिलकर निर्धारित करेंगी।
दरअसल, उपग्रह को प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन रिफ्लेक्टर एंटीना में कुछ तकनीकी खराबी के कारण इसे वापस भेजना पड़ा। यह निसार उपग्रह की रडार प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे पहले उपग्रह को थर्मल कोङ्क्षटग के लिए वापस अमरीका भी वापस भेजा गया था। इन तकनीकी खामियों के कारण उपग्रह का कई बार प्रक्षेपण टला और इसमें देरी हुई। लेकिन सुधार के बाद उसे फिर भारत लाया गया है और तमाम परीक्षणों के बाद उपग्रह अब लांच होने के लिए तैयार है।
विश्व के सबसे महंगे उपग्रहों में से एक
लगभग 1.5 अरब डॉलर की लागत से निर्मित विश्व के सबसे महंगे उपग्रहों में से एक निसार केवल 12 दिनों में ही पूरे विश्व का मानचित्र तैयार करने में सक्षम होगा। इससे पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में आसानी होगी और किसी भी तरह के प्राकृतिक बदलाव या खतरों के प्रति आगाह किया जा सकेगा। बर्फ के द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास, समुद्र के स्तर में वृद्धि, भूजल स्तर, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी या भूस्खलन जैसे खतरों को समझने के लिए यह उपग्रह सुसंगत आंकड़े उपलब्ध कराएगा। इस उपग्रह में एल और एस बैंड के दोहरे सिंथेटिक अपर्चर राडार हैं जो धरती के एक बहुत बड़े भू-भाग की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें उतारने में सक्षम हैं। सिंथेटिक अपर्चर राडार पे-लोड को इस तरह उपग्रह में इंटीग्रेट किया है कि, यह एक वेधशाला की तरह काम करेगा।