सिद्धरामय्या ने कहा, कर्नाटक में एचएमपीवी या चाइना वायरस संक्रमण की जानकारी है। मैंने स्वास्थ्य विभाग को एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मैंने स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव से भी बात की है। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग इसे नियंत्रित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि दो बच्चों में संक्रमण का पता चला है। हालांकि, यह कोई खतरनाक वायरस नहीं है, लेकिन एहतियाती कदम उठाए जाने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग जो भी उपाय सुझाएगा, सरकार उन सभी उपायों का समर्थन करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को पहले कहा था कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कई श्वसन वायरल रोगजनकों के लिए नियमित निगरानी के माध्यम से कर्नाटक में एचएमपीवी के दो मामलों का पता लगाया है।
बच्चों को करता है प्रभावित
इस बीच, यहां चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) ने कहा है कि यह वायरस कोविड-19 जितना संक्रामक नहीं है। निदेशालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि श्वसन वायरस मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है और सामान्य सर्दी जैसे संक्रमण का कारण बनता है। अस्पतालों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों की रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों को खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकने, साबुन से बार-बार हाथ धोने, लक्षण होने पर सार्वजनिक स्थानों से बचने और बीमार व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचने की सलाह दी गई है। लोगों से टिशू पेपर या रुमाल का दोबारा इस्तेमाल न करने, तौलिये और लिनेन को साझा न करने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचने का आग्रह किया गया है।
ऐसे होते हैं लक्षण, यह नहीं करें
एचएमपीवी खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ सहित फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है। अधिक गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है। खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमी वाले व्यक्तियों में। वायरस सांस की बूंदों, करीबी व्यक्तिगत संपर्क और वायरस से दूषित सतहों को छूने और फिर मुंह, नाक या आंखों को छूने से फैलता है।