स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास भी इसमें सहयोग कर रहा है। इसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति तक पहुंचना है। जिला प्रशासन महिलाओं, बच्चों और किशोरों पर विशेष ध्यान दे रहा है।
मौके पर ही दवा सरकारी और निजी स्कूलों में विशेषज्ञ चिकित्सक स्वास्थ्य जांच करेंगे। एनीमिया से पीड़ित बच्चों को मौके पर ही दवा, परामर्श और पोषण संबंधी पूरक आहार दिया जाएगा। इसका उद्देश्य थकान, पीली त्वचा, खराब एकाग्रता और धीमी गति से विकास जैसे लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जो अक्सर एनीमिया से पीड़ित बच्चों में देखे जाते हैं।
284 को गंभीर एनीमिया अब तक 34,510 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई है। इनमें से 284 महिलाएं गंभीर एनीमिया से पीड़ित निकलीं। 1,731 को हल्के से मध्यम एनीमिया था। गंभीरता के आधार पर जिला, तालुक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार जारी है।
2.2 लाख स्कूल बच्चों की होगी जांच जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी. सी. कुमारस्वामी ने बताया कि जून में स्कूल खुलने के बाद 2,493 स्कूलों के 2.2 लाख बच्चों की जांच होगी। सरकारी स्वास्थ्य योजना के तहत एनीमिया से पीड़ित छात्रों को पोषण किट के साथ आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जाएंगी।
बदलती जीवनशैली प्रमुख कारक डॉ. कुमारस्वामी के अनुसार बदलती जीवनशैली के कारण एनीमिया महामारी के रूप लेती जा रही है। उपचार, पोषण संबंधी जागरूकता और स्वस्थ खान-पान की आदतें लोगों को एनीमिया मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण हैं।