यह बात तेरापंथ महिला मंडल, गांधीनगर की ओर से आयोजित शांति और शक्ति की ओर कायोत्सर्ग कार्यशाला में प्रेक्षा प्रशिक्षिका पुष्पा चोरड़िया ने कायोत्सर्ग के लाभों के बारे में बताते हुए कही। उन्होंने कहा कि पहले के समय में जल्दी उठना, सोना, खाना होता था। सब समय पर और बिना कोई तनाव के होता था मगर आज ये सारे कार्य देर से होने से तनाव बढ़ता जा रहा है। अधिक तनाव होने से हृदय की गति बढ़ जाती है। जिससे छोटी उम्र में हार्टअटैक आता है। तनाव का प्रभाव फेफड़े और पाचनतंत्र तंत्र पर भी पड़ता है। जिससे हमारे शरीर में रसायन बदल जाते हैं, जो कई बीमारियों का कारण बनता है। तनाव से हमारी नाड़ियां तन जाती हैं। कायोत्सर्ग से वह शीतल हो जाती है, जिससे हमारे शरीर में तनाव कम हो जाता है। ध्यान का अंतिम व प्रथम बिंदु, दोनों ही कायोत्सर्ग है। आध्यात्मिक नाड़ी वीतरागता के लिए भी कायोत्सर्ग पांच या दस मिनट कर सकते हैं। कायोत्सर्ग का अर्थ शरीर के ममत्व को छोड़ना होता है। कायोत्सर्ग से शरीर को शिथिल करने से सोचना कम हो जाता है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल परामर्शक लता जैन ने आंधे घंटे का कायोत्सर्ग कराया। इससे पहले मंडल की सदस्यों ने प्रेक्षा गीत मंगलाचरण किया। अध्यक्ष रिजु डूंगरवाल ने स्वागत किया। करुणा संचेती ने आभार व्यक्त किया। मौके पर मंत्री ज्योति संचेती, सहमंत्री प्रमिला धोका आदि मौजूद थीं।