जब यह जानकारी मिली कि वन संरक्षक ने हलफनामा भेजा है, तो वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने रविवार को यहां बुलाई गई एक आपात बैठक में अधिकारियों को इस तरह मनमर्जी से कार्रवाई नहीं करने की चेतावनी दी। उन्होंने रात्रि यातायात प्रतिबंध पर वरिष्ठ अधिकारियों से राय भी मांगी।
इससे पहले फरवरी में, वन मंत्री ने अधिकारियों से रात्रि यातायात प्रतिबंध को बनाए रखने या हटाने के पक्ष और विपक्ष पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा और संभावित समाधान भी मांगे थे। रिपोर्ट अभी तक प्रस्तुत नहीं होने के कारण, मंत्री ने अधिकारियों को इसे जल्दी से जल्दी प्रस्तुत करने की याद दिलाई।
वायनाड से प्रियंका गांधी की जीत के बाद से सरकार दबाव में
माना जा रहा है कि वायनाड लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी की जीत के बाद से सरकार दबाव में है। एक याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसमें एक दशक से अधिक समय से लागू रात्रि प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई है। सूत्रों ने बताया कि प्रोजेक्ट एलीफेंट में वन संरक्षक ने राज्य सरकार की सहमति लिए बिना या कानूनी सलाह लिए बिना हलफनामा दिया था। सूत्रों ने बताया, रात्रि प्रतिबंध को जारी रखना या हटाना एक नीतिगत मामला है और इस पर निर्णय सरकार के स्तर पर लिए जाने हैं। व्यक्तिगत अधिकारी ऐसा निर्णय नहीं ले सकते, और अधिकारी को फटकार लगाई गई है।
सूत्रों के अनुसार आईएफएस अधिकारियों द्वारा सरकार की सहमति के बिना कदम उठाने का यह दूसरा ज्ञात प्रयास है। इससे पहले एचएमटी भूमि मामले में कैबिनेट द्वारा इस मुद्दे पर चर्चा किए बिना सुप्रीम कोर्ट में एक अंतरिम आवेदन दायर किया गया था।
सांसद ने की सरकार की आलोचना
इस बीच, बेंगलूरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्य ने सरकार की आलोचना की और कहा, कांग्रेस सरकार हाईकमान और केरल से अपने नवनिर्वाचित सांसद के दबाव में है। यह बेशर्मी से अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए कर्नाटक के जंगलों की बलि चढ़ाने का प्रयास कर रही है। कई सालों से बंडीपुर की सुरक्षा के लिए रात में यात्रा पर प्रतिबंध महत्वपूर्ण रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर सांसद ने कहा कि भाजपा सरकार ने हुणसूर-गोनिकोप्पा-कुट्टा मार्ग को यात्रियों के लिए विकल्प के रूप में पेश करते हुए नीति को बरकरार रखा है। यहां तक कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य को बंद करने की नीति को बनाए रखने का निर्देश दिया था। कांग्रेस का मौजूदा कदम केरल के निहित स्वार्थों के लिए एक निश्चित धोखा है और इसे रोका जाना चाहिए। कर्नाटक के जंगल, इसके वन्यजीव और इसका भविष्य कांग्रेस की राजनीतिक मजबूरियों के लिए सौदेबाजी की चीज नहीं हैं।