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बैंगलोर

कमजोर छात्रों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण, स्कूल स्तरीय सर्वेक्षण शुरू

डीएसइआरटी के मूल्यांकन के अनुसार, पांचवीं के कई छात्र अपना नाम सही ढंग से नहीं लिख पाते हैं। आठवीं कक्षा के छात्र जोड़ और घटाव जैसे बुनियादी अंकगणितीय कार्य करने में असमर्थ हैं। कई जिलों में, 13 से 20 प्रतिशत छात्रों में सीखने की क्षमता की कमी सामने आई है।

बैंगलोरJun 17, 2025 / 07:20 pm

Nikhil Kumar

कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में छात्रों के बीच साक्षरता और संख्यात्मकता को बेहतर बनाने के लिए, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण विभाग (डीएसइआरटी) ने 17 अलग-अलग लक्षित संकेतकों की पहचान की है। इनके आधार पर, सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए विशिष्ट उपाय किए जाएंगे।
साक्षरता, संख्यात्मकता दक्षता हासिल करें

पिछड़े छात्रों के बारे में डेटा एकत्र करने के लिए एक व्यापक स्कूल स्तरीय सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि 2026-27 शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत तक शत- प्रतिशत छात्र बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता दक्षता हासिल करें।
इसलिए यह कदम

डीएसइआरटी के मूल्यांकन के अनुसार, पांचवीं के कई छात्र अपना नाम सही ढंग से नहीं लिख पाते हैं। आठवीं कक्षा के छात्र जोड़ और घटाव जैसे बुनियादी अंकगणितीय कार्य करने में असमर्थ हैं। कई जिलों में, 13 से 20 प्रतिशत छात्रों में सीखने की क्षमता की कमी सामने आई है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार पिछले वर्ष उडुपी जिले में 13 से 14 प्रतिशत छात्रों में सीखने की कमी देखी गई जबकि दक्षिण कन्नड़ में यह 12-15 प्रतिशत के बीच थी।
सभी की जिम्मेदारी तय

उम्र, कक्षा स्तर या बुनियादी साक्षरता और अंकगणित कौशल की कमी के कारण पढ़ाई में पिछडऩे वाले छात्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों, क्लस्टर रिसोर्स पर्सन , ब्लॉक और जोनल शिक्षा अधिकारियों एवं जिला स्तरीय अधिकारियों को कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
सीखने के विविध मुद्दे

सीखने की चुनौतियां हर छात्र के लिए अलग-अलग होती हैं। कुछ छात्रों को पढऩे में दिक्कत होती है जबकि अन्य को अंकगणित में। कुछ कन्नड़ अक्षरों या संख्याओं को पहचान नहीं पाते, तो कुछ अंग्रेजी पढ़ या लिख नहीं पाते।
स्कूलों का दौरा

चयनित अधिकारी व कर्मचारी अगले तीन से चार दिनों में स्कूलों का दौरा करेंगे और सीखने की कमियों के बारे में जानकारी जुटाएंगे। छात्रों का डेटा अपलोड करेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य पिछड़े छात्रों को मुख्यधारा में वापस लाना है।

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