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राजस्थान के इन 4 जिलों में ‘लव मैरिज’ बनी PM आवास में बड़ा रोड़ा, टूटे कई परिवारों के सपने

PM Awas Yojana: प्रदेश के जनजातीय इलाकों, खासकर दक्षिण राजस्थान के उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और सलूम्बर जिलों में प्रेम-विवाह ने कई परिवारों के ‘प्रधानमंत्री आवास’ अटका दिए हैं।

बांसवाड़ाMar 19, 2025 / 03:03 pm

Nirmal Pareek

PM Awas Yojana in Rajasthan

फोटो सोर्स- AI

PM Awas Yojana in Rajasthan: प्रदेश के जनजातीय इलाकों, खासकर दक्षिण राजस्थान के उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और सलूम्बर जिलों में प्रेम-विवाह ने कई परिवारों के ‘प्रधानमंत्री आवास’ अटका दिए हैं। वजह प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाय) की एक शर्त, जो कई परिवारों की महिलाओं के प्रेम-विवाह कर दूसरे घर चले जाने से पूरी नहीं हो पा रही है।
दरअसल, योजना में ईडब्ल्यूएस और एलआइजी श्रेणी के लिए घर महिला (पत्नी) के नाम पर या संयुक्त स्वामित्व में होना अनिवार्य है। सामाजिक ताना-बाना इस तरह का है कि कई परिवारों की महिलाएं प्रेम-विवाह कर दूसरे घर चली गईं। ऐसे में उन परिवारों के पीएम आवास अटक गए। हालांकि योजना की एमआईजी श्रेणी में यह शर्त लागू नहीं है।
बताते चलें कि अकेले बांसवाड़ा जिले में 40 हजार से अधिक पीएम आवास अधूरे हैं। इनमें ऐसे प्रकरण भी हैं, जिनमें आवेदक महिला मुखिया प्रेम-विवाह कर दूसरे घर चली गईं। हालांकि जिला परिषद के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार इस वर्ष 37 हजार 500 से अधिक पीएम आवास स्वीकृत हुए थे, जो अधूरे हैं। 300 आवास गत वर्ष के अधूरे हैं।

पंचायत लिखकर दे तो हो जाता समाधान

जिला परिषद के अधिकारियों का कहना है कि किसी महिला के प्रेम-विवाह करने या अन्य कारणों से परिवार से रिश्ता खत्म करने पर कई बार आवास अटक जाते हैं। ऐसे मामलों में ग्राम पंचायत की रिपोर्ट पर पंचायत समिति उसी आवेदक आईडी में नाम और अन्य सूचनाएं परिवर्तित करती हैं। ऐसे में आवेदक परिवार को लाभ मिल जाता है।
केस-1

गांव खेड़ापाड़ा की एक महिला प्रेम-विवाह कर दूसरे गांव चली गई। साथ में अपने और घर-परिवार के तमाम दस्तावेज भी ले गई। नतीजतन, पीएम आवास, बच्चों की कल्याणकारी योजनाओं के अलावा अन्य लाभ लाभ अटक गए। बार-बार अनुरोध के बाद भी उसने दस्तावेज नहीं लौटाए।
केस-2

घाटोल के रूपजी का खेड़ा गांव में एक महिला प्रेम-विवाह कर दूसरे घर चली गई। योजना की शर्तें एवं दस्तावेजी कार्यवाही में उस परिवार का पीएम आवास अटक गया। काफी कोशिशों के बाद भी उस परिवार को योजना की राशि नहीं मिली। ग्राम पंचायत ने जब वस्तुस्थिति लिखकर दी, तब पति के नाम से आवास बना।
केस-3

गढ़ी क्षेत्र में एक नाबालिग के नाम से पीएम आवास स्वीकृत कर दिया गया। जब इसकी शिकायत हुई तो मामले का खुलासा हुआ। जांच के बाद पीएम आवास के लाभार्थी का नाम परिवर्तन कराया गया। फिर आवासीय योजना की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
बतात चलें कि पीएम आवास लाभार्थी परिवार के पास मनरेगा जॉबकार्ड हैं, तो वे घर बनाते समय मस्टररोल भरकर 90 दिन तक दिहाड़ी 266 रुपए भी प्राप्त कर सकते हैं। कुल 24 हजार रुपए का उन्हें अतिरिक्त लाभ मिलता है।

यह है पीएम आवास योजना

भारत सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराती है। आय वर्ग के अनुसार श्रेणियां तय हैं।

ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर): वार्षिक आय 3 लाख रुपए तक।
एलआईजी (निम्न आय वर्ग): वार्षिक आय 3-6 रुपए लाख।
एमआईजी-1 (मध्यम आय वर्ग-प्रथम): वार्षिक आय 6-12 रुपए लाख।
एमआईजी-2 (मध्यम आय वर्ग-द्वितीय): वार्षिक आय 12-18 रुपए लाख।
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महिलाओं को मिलती है प्राथमिकता- कलक्टर

बांसवाड़ा जिला कलक्टर डॉ. इंद्रजीत सिंह यादव ने कहा कि प्रेम-विवाह जैसे मुद्दे पर कोई पीएम आवास अटकता है, तो भी सरकार की प्राथमिकता महिलाओं के नाम पर लाभ देने की ही रहती है। यदि कुछ बदलाव की जरूरत होती है परिवार के हिसाब से समाधान किया जाता है।
वहीं, बांसवाड़ा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाललाल स्वर्णकार ने कहा कि सरकार बहुत बड़े पैमाने पर योजना का लाभ गरीबों को देना चाहती है। कुछ समय पहले सरकार ने सर्वे कराया था। इसमें बांसवाड़ा जिले में एक लाख 45 हजार 776 लोग योजना के लिए पात्र पाए गए। आगामी वर्षों में इन्हें भी आवास का लाभ मिल जाएगा।

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