दिसंबर में बुवाई करने वाले किसानों के लिए संकट अभी भी
किसान बताते हैं कि कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने गेहूं की बुवाई नवंबर के बाद की है। ऐसे किसानों की संख्या ज्यादा है। इन किसानों को बुवाई के लिए अभी यूरिया की आवश्यकता पड़ रही है। लेकिन अधिक दाम होने के कारण इन पर व्यर्थ ही आर्थिक भार पड़ रहा है।साथ में मिलने वाले उत्पाद बने कारण
किसानों की मानें तो विक्रेता खाद के साथ अन्य उत्पाद मिलने के कारण अधिक दाम में देने की बात करतें हैं। लेकिन इस पर कोई ठोस निर्णय न होने के कारण पूरे प्रदेश के किसानों को अधिक दाम पर खरीदना पड़ता है।Jaipur Literature Festival 2025 : AI बहुत पावरफुल चीज, सुधा मूर्ति बोली- यह दिमाग की भाषा समझता है, दिल की नहीं
जिले में यूरिया की इतनी उपलब्धता
वेयर हाउस – 942.255थोक विक्रेता – 329.985
रिटेलर – 3713.373
(मात्रा मीट्रिक टन में)
यह हैं सरकारी दरें
यूरिया – 266.50डीएपी – 1350
(प्रति बैग)
किसानों की समस्याओं पर हो फोकस
किसानों को यूरिया 350 रुपए से लेकर 400 रुपए कभी -कभी तो इससे ज्यादा दर भी भी मिल रही है। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। यूरिया की बढ़ी दरों की बात हो या अन्य कोई मुद्दा किसान हित में चर्चा तक नहीं होती है। यहां तक कि साधारण सभा तक अहम बैठकों में किसानों के मुद्दों को भी विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। जबकि, किसानों की समस्याओं पर विशेष फोकस होना चाहिए।रणछोड़ पाटीदार, प्रांतीय उपाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
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मुख्यमंत्री तक को सुनाई पीड़ा
हाल ही में मुख्यमंत्री ने किसानों ने भेंटकर समस्या बताई थी। सरकार को अवगत कराया गया कि किसानों को डीएपी और यूरिया अधिक कीमत पर मिलती है। इसके अलावा भी किसानों की अन्य समस्याओं को लेकर अवगत कराया।हरीशचंद्र सिंह सिसोदिया, जिला अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ