छात्रों की शिकायत के बाद खुला मामला
कॉलेज के 141 छात्रों में से 96 को एक ही विषय में फेल किया गया था। छात्रों ने जब इस पर आपत्ति जताई और यूनिवर्सिटी को शिकायत भेजी, तब पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति प्रो. के.पी. सिंह के निर्देश पर एक जांच समिति गठित की गई। समिति की रिपोर्ट में यह सामने आया कि आंतरिक परीक्षकों ने निजी रंजिश के चलते छात्रों को जानबूझकर फेल किया। इतना ही नहीं, कॉलेज प्रशासन ने छात्रों की शिकायतों को लगातार नजरअंदाज किया और संबंधित शिक्षक को ही नंबर अपलोड करने की जिम्मेदारी सौंप दी।
दोषियों पर गिरी गाज, कॉलेज को भुगतना पड़ा खामियाजा
जांच के बाद यूनिवर्सिटी ने सख्त कदम उठाते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. धनकर ठाकुर की सेवा समाप्त कर दी, जबकि आंतरिक परीक्षक डॉ. विवेक कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया गया। कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता पर भी प्रश्नचिह्न लगे और यूनिवर्सिटी ने कॉलेज पर 10 हजार रुपये प्रति छात्र के हिसाब से जुर्माना लगा दिया।
अब फिर से होगा प्रैक्टिकल, छात्रों को राहत
रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने तय किया है कि इच्छुक छात्रों की दोबारा से प्रैक्टिकल परीक्षा कराई जाएगी। यह परीक्षा यूनिवर्सिटी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक प्रो. आलोक श्रीवास्तव और डॉ. आभा त्रिवेदी की निगरानी में आयोजित की जाएगी। परीक्षा के लिए कॉलेज को अपने खर्चे पर यूनिवर्सिटी को डिमांड ड्राफ्ट जमा करना होगा। छात्रों से किसी भी प्रकार की अतिरिक्त फीस नहीं ली जाएगी।
कठोर कदम से रुकेगी मनमानी
इस पूरे मामले ने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की अहमियत को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि छात्रों की आवाज़ जब संगठित होती है, तो व्यवस्थाएं झुकने को मजबूर होती हैं। यूनिवर्सिटी की इस कार्रवाई से भविष्य में कॉलेजों की मनमानी पर लगाम लगने की उम्मीद की जा रही है।