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बरेली

96 छात्रों को फेल करने में मेडिकल कॉलेज दोषी करार; यूनिवर्सिटी ने ठोका जुर्माना, जांच में बड़ा खुलासा

। वरुण अर्जुन मेडिकल कॉलेज, बंथरा (शाहजहांपुर) में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के 96 छात्रों को जनरल मेडिसिन के प्रैक्टिकल में जानबूझकर फेल किया गया था। इस मामले में रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने कड़ा रुख अपनाते हुए न सिर्फ दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की, बल्कि कॉलेज को भी दोषी ठहराते हुए प्रति छात्र 10 हजार रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया है। यूनिवर्सिटी ने यह स्पष्ट किया है कि छात्रों से इस परीक्षा के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

बरेलीMay 25, 2025 / 09:46 am

Avanish Pandey

बरेली। वरुण अर्जुन मेडिकल कॉलेज, बंथरा (शाहजहांपुर) में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के 96 छात्रों को जनरल मेडिसिन के प्रैक्टिकल में जानबूझकर फेल किया गया था।

इस मामले में रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने कड़ा रुख अपनाते हुए न सिर्फ दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की, बल्कि कॉलेज को भी दोषी ठहराते हुए प्रति छात्र 10 हजार रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया है। यूनिवर्सिटी ने यह स्पष्ट किया है कि छात्रों से इस परीक्षा के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

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छात्रों की शिकायत के बाद खुला मामला

कॉलेज के 141 छात्रों में से 96 को एक ही विषय में फेल किया गया था। छात्रों ने जब इस पर आपत्ति जताई और यूनिवर्सिटी को शिकायत भेजी, तब पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति प्रो. के.पी. सिंह के निर्देश पर एक जांच समिति गठित की गई।
समिति की रिपोर्ट में यह सामने आया कि आंतरिक परीक्षकों ने निजी रंजिश के चलते छात्रों को जानबूझकर फेल किया। इतना ही नहीं, कॉलेज प्रशासन ने छात्रों की शिकायतों को लगातार नजरअंदाज किया और संबंधित शिक्षक को ही नंबर अपलोड करने की जिम्मेदारी सौंप दी।

दोषियों पर गिरी गाज, कॉलेज को भुगतना पड़ा खामियाजा

जांच के बाद यूनिवर्सिटी ने सख्त कदम उठाते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. धनकर ठाकुर की सेवा समाप्त कर दी, जबकि आंतरिक परीक्षक डॉ. विवेक कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया गया। कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता पर भी प्रश्नचिह्न लगे और यूनिवर्सिटी ने कॉलेज पर 10 हजार रुपये प्रति छात्र के हिसाब से जुर्माना लगा दिया।

अब फिर से होगा प्रैक्टिकल, छात्रों को राहत

रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने तय किया है कि इच्छुक छात्रों की दोबारा से प्रैक्टिकल परीक्षा कराई जाएगी। यह परीक्षा यूनिवर्सिटी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक प्रो. आलोक श्रीवास्तव और डॉ. आभा त्रिवेदी की निगरानी में आयोजित की जाएगी। परीक्षा के लिए कॉलेज को अपने खर्चे पर यूनिवर्सिटी को डिमांड ड्राफ्ट जमा करना होगा। छात्रों से किसी भी प्रकार की अतिरिक्त फीस नहीं ली जाएगी।

कठोर कदम से रुकेगी मनमानी

इस पूरे मामले ने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की अहमियत को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि छात्रों की आवाज़ जब संगठित होती है, तो व्यवस्थाएं झुकने को मजबूर होती हैं। यूनिवर्सिटी की इस कार्रवाई से भविष्य में कॉलेजों की मनमानी पर लगाम लगने की उम्मीद की जा रही है।

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