जांच में कई चौंकाने वाली गड़बड़ियां सामने आईं—पशुओं की संख्या में हेरफेर, भूसे की खरीद में फर्जीवाड़ा और गंदगी से भरा गोशाला परिसर।
152 पशुओं का रिकॉर्ड, मौके पर मिले सिर्फ 77
संयुक्त निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार और डॉ. मदन मुरारी पटेल सुबह 11 बजे बरेली के पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय पहुंचे। यहां से उन्होंने उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अवधेश कुमार को साथ लेकर मीरगंज की कपूरपुर और सैजना गांव की गोशालाओं में जांच शुरू की। सबसे पहले कपूरपुर गोशाला में दोपहर 1:45 बजे पहुंची टीम को रिकॉर्ड में 152 पशु दर्ज मिले, लेकिन मौके पर सिर्फ 77 मवेशी ही मौजूद थे। इससे बड़ी गड़बड़ी का अंदेशा हुआ।
भूसा खरीद में लाखों का फर्जीवाड़ा
ऑनलाइन पोर्टल पर भूसे की खरीद ₹9.50 लाख दर्शाई गई थी, लेकिन दस्तावेजी रिकॉर्ड में सिर्फ ₹2.50 लाख की ही एंट्री मिली। एमएस इंटरप्राइजेज नामक फर्म के नाम पर बना ₹75,000 का बिल भी फर्जी निकला। पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान से जब टीम ने सबूत मांगे तो दोनों कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। गोशाला परिसर में कीचड़ और जलभराव देखकर संयुक्त निदेशक डॉ. अग्रवाल ने बीडीओ भगवान दास को फोन कर लताड़ लगाई और पूछा कि “लो-लैंड एरिया में गोशाला क्यों बनाई गई?” बीडीओ संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
सैजना गोशाला की हालत भी बदतर
इसके बाद टीम ने गांव सैजना की गोशाला का निरीक्षण किया। यहां 91 पशु दर्ज थे लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव मौके पर नहीं मिले। गोशाला की टीनशेड टूटी हुई थी और बारिश के कारण अंदर कीचड़ और गंदगी फैली थी। केयरटेकर पप्पू ने बताया कि उसे आठ महीने से मानदेय नहीं मिला है। शिकायत पर बीडीओ ने उसे पासबुक के साथ दफ्तर बुलाया। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि अधिकारियों की भनक लगते ही हरा चारा डाला गया, जबकि पास वाली पंक्ति में सूखा भूसा पड़ा हुआ मिला। तय समय पर पशुओं को भूसा भी नहीं मिल रहा था।
शासन को भेजी जाएगी रिपोर्ट
संयुक्त निदेशक डॉ. अग्रवाल ने स्पष्ट कहा कि “शासन से हमें धरातल पर गोशालाओं की सच्चाई पता लगाने की जिम्मेदारी मिली है। जिन अफसरों की लापरवाही सामने आई है, उनकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।”
निरीक्षण टीम में शामिल रहे ये अधिकारी
बीडीओ मीरगंज: भगवान दास एडीओ पंचायत: वीरपाल सिंह एडीओ आईएसबी: यश गंगवार अन्य उपस्थित: हरीश लोधी, विशाल कुमार, योगेश कुमार