मॉडल शॉप्स में दोहरा चौराहा सबसे महंगा
शहर में 16 मॉडल शॉप्स की लॉटरी प्रक्रिया में यह स्पष्ट हुआ कि महंगी शराब खरीदने और पीने के लिए पीलीभीत बाईपास स्थित दोहरा चौराहा सबसे लोकप्रिय स्थान रहा। इस स्थान की लाइसेंस फीस 1.32 करोड़ रुपये तय हुई, जो अन्य स्थानों की तुलना में सबसे अधिक है। इसके बाद डीडीपुरम का एकतानगर चौराहा और डीडीपुरम मार्केट क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
देसी शराब में संजय नगर टॉप पर, किला और गंगापुर क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर
देसी शराब की दुकानों में किला 7.61 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि गंगापुर 6.87 करोड़ रुपये की बोली के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
12 मार्च तक जमा करनी होगी लाइसेंस फीस
आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 12 मार्च तक सभी आवंटियों को लाइसेंस शुल्क और अन्य देयताओं का भुगतान करना होगा। इस दौरान डीएम रविंद्र कुमार, एसएसपी अनुराग आर्य, एसपी सिटी मानुष पारीक और उप आबकारी आयुक्त एसपी सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। ई-लॉटरी प्रणाली के चलते पूरी प्रक्रिया करीब डेढ़ घंटे में संपन्न हो गई।
शराब की दुकान के लिए भारी प्रतिस्पर्धा
शहर में शराब की दुकानों के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखी गई। बलिया में 126, देवचरा में 103, संजय नगर में 16 और किला में 40 आवेदक थे। कंपोजिट दुकानों में इज्जतनगर के लिए 113 और फीनिक्स मॉल के पास 103 आवेदकों ने दावेदारी पेश की।
विदेशी शराब और बीयर अब एक ही दुकान पर
नई नीति के तहत विदेशी शराब और बीयर अब एक ही दुकान से बेची जाएगी। डेलापीर इलाके में शराब की सबसे ज्यादा बिक्री को देखते हुए यहां की लाइसेंस फीस 83.45 लाख रुपये तय हुई है।
शहर में शराब की सबसे महंगी दुकानें
शहर में शराब बिक्री के आधार पर 10 प्रमुख स्थानों पर लाइसेंस फीस सबसे अधिक रही, जिसमें स्टेशन रोड, नगरिया परीक्षित, सेटेलाइट बस अड्डा, इज्जतनगर, मालगोदाम रोड सुभाषनगर, राजेंद्रनगर और दोहरा रोड शामिल हैं।
राजनेताओं ने भी आजमाया हाथ
शराब के ठेकों की लॉटरी में कई राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हुईं। भाजपा के कुछ नेता ठेका दिलाने में सक्रिय दिखे, जबकि सपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने खुद ठेके हासिल किए। संजय नगर में कांग्रेस से जुड़े एक नेता और उद्यमी ने सबसे महंगी दुकान का ठेका लिया, जिसकी लाइसेंस फीस 7.79 करोड़ रुपये है। वहीं, सपा नेता ने उमरसिया कैंट में देसी शराब का ठेका हासिल किया।
सरकारी खजाने में 800 करोड़ रुपये का लक्ष्य
आबकारी विभाग की इस लॉटरी प्रक्रिया से सरकार को कुल 800 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। विभाग के अधिकारियों ने कहा कि लाइसेंस फीस बिक्री के अनुमान के आधार पर तय की जाती है, और इसी के अनुसार शराब का कोटा भी निर्धारित किया जाता है।