हादसे में मृतक धोरीमन्ना क्षेत्र के बोर चारणान निवासी जयप्रकाश जाट और पीलीबंगा निवासी मानव भादू बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे थे। गुरुवार को मेस में खाना खाते समय दोनों छात्र विमान की चपेट में आकर काल का ग्रास बन गए। सूचना मिलते ही दोनों छात्रों के घरों में कोहराम मच गया।

मृतक जयप्रकाश का शव शुक्रवार शाम पैतृक गांव पहुंच गया है। वहीं, मानव भादू का शव को परिजन अहमदाबाद से लेकर रवाना हुए हैं। हादसे की सूचना के बाद रिश्तेदार और समाज के लोग परिवार के सदस्यों को ढाढ़स बंधाने पहुंचे।
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सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंचे
इधर, हादसे में मृत 12 लोगों के परिजन अभी अहमदाबाद में हैं। जानकारी के मुताबिक, बोर चारणान के आशुपुरा निवासी धर्माराम जाट का पुत्र जयप्रकाश (20) गुरुवार को हादसे के वक्त बीजे मेडिकल कॉलेज के अंडर ग्रेजुएट छात्रावास के मेस में खाना खा रहा था। प्लेन क्रैश होकर उसी बिल्डिंग पर गिर गया।

हादसे में छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे अहमदाबाद स्थित सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया था। जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। जयप्रकाश दो साल से अहमदाबाद में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। परिजनों के मुताबिक जयप्रकाश का शरीर हादसे में 30 फीसदी जल गया था।
कर्ज लेकर पढ़ाया जयप्रकाश को
मृतक के भाई मंगलाराम ने बताया कि धर्माराम कृषि कार्य के साथ बालोतरा की एक फैक्ट्री में काम करते है। उन्होंने बताया कि जयप्रकाश की पढ़ाई के लिए कर्ज लिया और कोटा से कोचिंग करवाई। पढ़ाई में होशियार होने पर नीट में 675 अंक के साथ चयन हुआ। काउंसलिंग के बाद वर्ष 2023 में उसे बीजे मेडिकल कॉलेज मिला। मां का सपना था कि मेरा बेटा डॉक्टर बने। अभी एक माह पहले घर आया और सात दिन रुका था।

साथियों के साथ जाता तो बच जाता
परिजनों से मिली जानकारी सामने आया है कि उसके साथ कुछ और छात्र भी थे, दोपहर में 1 बजे सभी लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे थे। इस दौरान जयप्रकाश के मित्र ने कहा कि चलो बाहर चलते हैं और आम लेकर आते हैं। लेकिन जयप्रकाश ने मना कर दिया और कहा कि मैं मैस जा रहा हूं, खाना खाकर आता हूं। इस बीच प्लेन क्रैश हो गया और उसकी जान चली गई।
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हादसे से पहले किया था कॉल…
भाई मंगलाराम ने बताया, दोपहर एक बजे उसका कॉल आया था। उसने बताया कि मैस में खाना खाने जा रहा हूं। फोन की बैटरी डाउन है। इसके बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया। जयप्रकाश की मां का सपना था कि बेटा डॉक्टर बने। उसी सपने को वह पूरा कर रहा था। जयप्रकाश कहता था, मुझे गांव के लोगों की इलाज के जरिए सेवा करनी है। जयप्रकाश की मौत से गांव में शोक की लहर है।