दरअसल, कोर्ट ने इस मामले में दो आईपीएस अधिकारियों सहित 24 पुलिसकर्मियों और तत्कालीन राजस्व मंत्री और वर्तमान बायतू विधायक हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी और तत्कालीन आईजी नवज्योति गोगोई की भूमिका की जांच के भी निर्देश दिए गए हैं। सीबीआई को दो महीने में अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा गया है।
CBI ने शुरू की की दोबारा जांच
जानकारी के मुताबिक सीबीआई की एक टीम बाड़मेर पहुंच चुकी है और सर्किट हाउस में कैंप स्थापित कर जांच शुरू कर दी है। यह टीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब तलाशेगी और मामले से जुड़े सबूतों की पुन: जांच करेगी। कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में कई खामियां हैं और यह हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकती है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि बिना उकसावे या व्यक्तिगत दुश्मनी के पुलिस द्वारा की गई हत्या को आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा नहीं माना जा सकता, खासकर जब सबूतों के साथ छेड़छाड़ और जांच को गुमराह करने के संकेत मिले हों।
पुलिस ने जब्त की थी ये सामग्री
एनकाउंटर के बाद पुलिस ने कमलेश के घर पर सर्च ऑपरेशन चलाया। कार्यपालक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में 59 लाख 69 हजार 50 रुपये नकद, 11 लग्जरी वाहन, 5 अवैध पिस्टल, 9 मैगजीन, 121 कारतूस, 2.36 किलो अफीम का दूध, 1.715 किलो डोडा-पोस्त, 13 मोबाइल फोन, 4 डोंगल और एक एटीएम जब्त किया गया। पुलिस ने दावा किया कि कमलेश एक कुख्यात तस्कर था, लेकिन कोर्ट ने बाद में कहा कि उसके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत कोई पूर्व मामला दर्ज नहीं था।
जसोदा की याचिका पर दोबार जांच शुरू
बताते चलें कि सीबीआई ने 31 मई 2021 को मामले की जांच अपने हाथ में ली थी और 5 जुलाई 2021 को FIR दर्ज की थी। लंबी जांच के बाद सीबीआई ने नेगेटिव क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि फर्जी एनकाउंटर का दावा साबित करना मुश्किल है। इस रिपोर्ट को कमलेश की पत्नी जसोदा ने 28 मार्च 2023 को कोर्ट में चुनौती दी। जसोदा के वकील अर्जुनसिंह राठौड़ ने तर्क दिया कि जांच निष्पक्ष नहीं थी, हरीश चौधरी से पूछताछ नहीं हुई और सीसीटीवी फुटेज गायब किए गए। कोर्ट ने इन दावों में दम पाया और क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी।
क्या था कमलेश प्रजापत एनकाउंटर?
गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2021 को बाड़मेर के सेंट पॉल स्कूल के पीछे कमलेश प्रजापत के घर पर पुलिस ने छापेमारी की थी। तत्कालीन डीएसपी (एससी-एसटी सेल) पुष्पेंद्र आढ़ा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि कमलेश, जो एक कुख्यात तस्कर था और पाली के SHO पर हमले के मामले में वांछित था, ने पुलिस पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें कमलेश की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, कमलेश ने अपनी एसयूवी से गेट तोड़कर भागने की कोशिश की और एक कांस्टेबल को कुचलने का प्रयास किया। हालांकि, इस एनकाउंटर की सत्यता पर सवाल उठे, क्योंकि दो वायरल वीडियो में कमलेश द्वारा पुलिस पर गोली चलाने का कोई सबूत नहीं मिला।