scriptबाड़मेर-जैसलमेर में बॉर्डर पर भारत-पाक युद्ध में बने बंकर क्यों हो रहे है तैयार | Why are the bunkers built during the Indo-Pak war being prepared on the Barmer-Jaisalmer border on the western border? | Patrika News
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बाड़मेर-जैसलमेर में बॉर्डर पर भारत-पाक युद्ध में बने बंकर क्यों हो रहे है तैयार

बॉर्डर के निकट के गांवों में अब धारा 144 की पालना की सख्ती लागू कर दी गई है। यहां पर शाम सात बजे के बाद से सुबह तक रात्रि विचरण नहीं हो रहा है। पुलिस, बीएसएसफ और खुफिया एजेंसियां मुश्तैदी से है।

बाड़मेरMay 01, 2025 / 02:01 pm

Ratan Singh Dave

army bunker

बाड़मेर । भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव से अब बॉर्डर के लोग भी सचेत हो गए है। पश्चिमी सीमा के बाड़मेर-जैसलमेर में 1999 में के कारगिल युद्ध के समय में बने हुए बंकरों की सुध ली जा रही है तो दूसरी ओर जम्मू कश्मीर में घरों में बनाए गए अण्डरग्राउंड(स्थाई बंकर) में रात बिताने लोग पहुंच रहे है।

रात बंकर में बिता रहे

जम्मूू कश्मीर के अरनिया सेक्टर के आखिरी गांव त्रेवा की पूर्व सरपंच बलबीर कौर बताती है कि गांव में अण्डरग्राउंड स्थाई बनाए हुए है। यह बंकर की तरह है। रात को अब परिवार सहित इसमें सो जाते है। दिन में घर में रहते है। जीरो लाइन सरहद की तरफ फसल कटाई का बुधवार को अंतिम दिन था, आज से अब फसलें काटने भी नहीं जाएंगे। स्कूल और सार्वजनिक भवन साफ कर दिए गए है, ताकि यहां आपात स्थिति में शिफ्ट हो सके। वे बताते है कि हमारे यहां से जोर से पत्थर उछाला जाए तो पाकिस्तान में गिरता है तो हम तो एकदम किनारे पर ही बैठे है।

हलचल पर है नजर


पश्चिमी सीमा के बाड़मेर सरहद के आखिरी गांव अकली के ठीक सामने 500 मीटर पर बॉर्डर है। ग्रामीण कालूराम मेघवाल बताते है कि आतंकी हमले के बाद भारत-पाक युद्ध होने की संभानाओं की खबरें मिल रही है। अभी बॉर्डर के सामने पाकिस्तानी हलचल भी नजर आती है। यहां अभी ऐसा कोई माहौल नहीं है लेकिन सचेत जरूर है। रात में भी जागकर कई बार स्थिति देखते है।

तूफान से पहले की खामोशी


सारा देश भारत के प्रत्युत्तर का इंतजार कर रहा है। वहीं बॉर्डर के गांवों में तूफान के पहले की खामोशी छा गई है। क्या होगा? यह सवाल इन लोगों के जेहन में रात-दिन चल रहा है। 1947 का बंटवारा, 1965 और 1971 की लड़ाई और 1999 के कारगिल युद्ध का वक्त देख चुके सरहद के बाशिंदें जानते है कि कुछ भी होने पर बंदिशें शुरू जाएगी। आखिरी गांव तामलौर के सरपंच हिन्दूसिंह कहते है,हम तो सीमा के रक्षक है। इन परिस्थितियों से पीछे होना होता तो यहां थोड़े ही बसते।


धारा 144 पर सख्ती

बॉर्डर के निकट के गांवों में अब धारा 144 की पालना की सख्ती लागू कर दी गई है। यहां पर शाम सात बजे के बाद से सुबह तक रात्रि विचरण नहीं हो रहा है। पुलिस, बीएसएसफ और खुफिया एजेंसियां मुश्तैदी से है।

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